शिक्षक है राष्ट्र निर्माता

बिना भेद-भाव अच्छे- बुरे का ज्ञान कराता।

श्रेष्ठ मानव बनाने को आतुर
देश धर्म संस्कृति का दर्शन कराता।                                   
मानवता का सन्देश देकर
ईश्वर स्वरूप बन जाता।

शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।
संयम, सदाचार, विवेक, सहनशीलता का पाठ पढ़ाता।

समय का सदुपयोग सिखाता।
एहसास गर्व खुशी की अनुभूति कराता।।

परोपकार भाईचारा का ज्ञान कराकर।
पथ पदर्शक बन जाता।

शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।

आत्मविश्वास की प्रेरणा देकर
आगे बढ़ने का भाव जगाता।।

फूलों से नौनिहालों को
माली बनकर खूब सँवारता।

कभी गलती का एहसास करता।
कभी नेक उत्कृष्ट सराहनीय कार्यों को देख पुरस्कृत करता।

शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।

शिष्यों की क्षमता का अवलोकन कर।
लक्ष्य तक पहुँचाने में मदद करता।।
   
जलते हुए दीपक जैसा खुद जलकर।
 जीवन को उनके काबिल बनाता।।

वर्तमान में कठोर परिश्रम की सीख देकर।
सुनहरे भविष्य का ख्वाब दिखा राह प्रशस्त करता।।

शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।

उचित सही सम्मानजनक का मन्त्र देकर।
 मात-पिता की सेवा के लिये भाव जगाकर।।
रग-रग में संस्कार भरता।

कुम्हार के घड़े से कोमल तन मन को ।                             
सचिन, कल्पना, कलाम बनाता।।

   शिक्षक है राष्ट्र निर्माता।।

रचयिता
रवीन्द्र नाथ यादव,
सहायक अध्यापक,  
प्राथमिक विद्यालय कोडार उर्फ़ बघोर नवीन,
विकास क्षेत्र-गोला,
जनपद-गोरखपुर।

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