एम.आर.टीकाकरण अभियान
'खसरा और रुबैला तो है खतरनाक संक्रामक और जानलेवा बीमारी।
खसरे की पहचान है तेज बुखार, बहती नाक, लाल चकत्ते व खाँसी।
रुबैला रोग ग्लूकोमा, बहरापन, मस्तिष्क व दिल की बीमारियों को है बढाता।
एम.आर. से बच्चा निमोनिया, दस्त, दिमागी बुखार से पीड़ित हो जाता।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने है ठाना।
सबको जागरुक कर इन बीमारियों को है जड़ से मिटाना।
इसलिये 9 माह से 15 साल के बीच बच्चों के है एम.आर.टीका लगवाना।
इसलिये सबको मिलकर खसरा और रुबैला को है हराना।
इस तरह एम.आर. टीकाकरण अभियान को है सफल बनाना।'
खसरे की पहचान है तेज बुखार, बहती नाक, लाल चकत्ते व खाँसी।
रुबैला रोग ग्लूकोमा, बहरापन, मस्तिष्क व दिल की बीमारियों को है बढाता।
एम.आर. से बच्चा निमोनिया, दस्त, दिमागी बुखार से पीड़ित हो जाता।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने है ठाना।
सबको जागरुक कर इन बीमारियों को है जड़ से मिटाना।
इसलिये 9 माह से 15 साल के बीच बच्चों के है एम.आर.टीका लगवाना।
इसलिये सबको मिलकर खसरा और रुबैला को है हराना।
इस तरह एम.आर. टीकाकरण अभियान को है सफल बनाना।'
रचयिता
अभिषेक शुक्ला,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय लदपुरा,
विकास क्षेत्र-अमरिया,
जिला-पीलीभीत।
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