जल ही जीवन
जल से सृष्टि जल से ही बना तन मन
जल बिन बंजर भूमि जल ही जीवन।
शीत स्पर्श रूप में बहें शान्त निर्मल,
गन्ध रहित लिये खुद जीवन का रस।
सुखद एहसास मधुर ध्वनि भगीरथ जल
जल से जीवित हर प्राणी जल ही जीवन।
पाताल में बसता, सागर बनकर बहता
घन घूमें वायुमंडल लिये वर्षा का जल।
नहर, नदी, झरना बन बहता है हरदम
जल से ही अन्न, फल, पुष्पित हो उपवन
जल देता मुफ्त ही समूचे मानवता को बल
जल से ही होता जीवन सबका सफल।
हर परिस्थिति में खुद को ढालना सिखाता
ठोस, द्रव्य, गैस में सृष्टि का मर्म बताता।
घटते जलस्तर से त्राहि-त्राहि का मचा हलचल
जल से हर प्राणी, जल ही जीवन।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।
जल बिन बंजर भूमि जल ही जीवन।
शीत स्पर्श रूप में बहें शान्त निर्मल,
गन्ध रहित लिये खुद जीवन का रस।
सुखद एहसास मधुर ध्वनि भगीरथ जल
जल से जीवित हर प्राणी जल ही जीवन।
पाताल में बसता, सागर बनकर बहता
घन घूमें वायुमंडल लिये वर्षा का जल।
नहर, नदी, झरना बन बहता है हरदम
जल से ही अन्न, फल, पुष्पित हो उपवन
जल देता मुफ्त ही समूचे मानवता को बल
जल से ही होता जीवन सबका सफल।
हर परिस्थिति में खुद को ढालना सिखाता
ठोस, द्रव्य, गैस में सृष्टि का मर्म बताता।
घटते जलस्तर से त्राहि-त्राहि का मचा हलचल
जल से हर प्राणी, जल ही जीवन।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
डोभी, जौनपुर।
Ati sunder sarahniya prayas
ReplyDeleteसुन्दर रचना।सराहनीय।
ReplyDeleteस चन्द्र कौशिक