ज्यामितीय आकृतियाँ
चार भुजा की बंद आकृति , चारों भुजा समान।
चारों कोण 90° हो वर्ग उसी का नाम।।
चार भुजा की बंद आकृति, सन्मुख भुजा समान।
चारों कोण 90° हो आयत की पहचान।।
तीन भुजा की बंद आकृति, त्रिभुज वो कहलाए।
जोड़ो तीनों अंतः कोणों को 180° आए।।
लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई सब सम।
त्रिविमीय वह आकृति कहलाती हैं घन।।
लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई आसमान।
त्रिविमीय वह आकृति कहलाती है घनाभ।।
केंद्र बिंदु के चारों ओर खींचे रेखा वक्र।
रहे केंद्र से दूरी सम बन जाता है वृत्त।।
गेंदनुमा हो आकृति,जब सतह पर रखते।
एक बिंदु बस छूता है,गोल उसे हम कहते।।
लंबी सीधी गोल नली बेलन है कहलाती।
सर्कस के जोकर की टोपी शंकु हमें समझाती।।
पहचानो आकर सभी बड़े काम की चीज।
आगे की को गणित है ये सब उसके बीज।।
रचनाकार
प्रशान्त अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
ज़िला-बरेली (उ.प्र.)
चारों कोण 90° हो वर्ग उसी का नाम।।
चार भुजा की बंद आकृति, सन्मुख भुजा समान।
चारों कोण 90° हो आयत की पहचान।।
तीन भुजा की बंद आकृति, त्रिभुज वो कहलाए।
जोड़ो तीनों अंतः कोणों को 180° आए।।
लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई सब सम।
त्रिविमीय वह आकृति कहलाती हैं घन।।
लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई आसमान।
त्रिविमीय वह आकृति कहलाती है घनाभ।।
केंद्र बिंदु के चारों ओर खींचे रेखा वक्र।
रहे केंद्र से दूरी सम बन जाता है वृत्त।।
गेंदनुमा हो आकृति,जब सतह पर रखते।
एक बिंदु बस छूता है,गोल उसे हम कहते।।
लंबी सीधी गोल नली बेलन है कहलाती।
सर्कस के जोकर की टोपी शंकु हमें समझाती।।
पहचानो आकर सभी बड़े काम की चीज।
आगे की को गणित है ये सब उसके बीज।।
रचनाकार
प्रशान्त अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय डहिया,
विकास क्षेत्र फतेहगंज पश्चिमी,
ज़िला-बरेली (उ.प्र.)
Nice ...
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