आओ मिलकर दीप जलाएँ

आओ मिलकर दीप जलाएँ
        झूमे नाचे गाएँ
 प्रेम और विश्वास की सब
       उसमें ज्योति जलाएँ

 रहें प्रेम सौहार्द से हम
    हिलमिल खुशी मनाएँ
धर्म जाति से दूर रहें और
     प्रेम की पौध लगाएँ

क्यों करते हो हिंदू मुस्लिम
     क्यों कहते सिख इसाई
सच्चा इंसान होता है वो
      जो जाने सच्चाई

दीप पर्व की खुशी में हम
     भेद भुला दें सारे मिलकर
मानवता का तेल डालकर
      रोशन कर दें हर घर

मानव धर्म को सर्वोपरि रखें
      दीपावली मनाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
      झूमे नाचे गाएँ

प्रेम और विश्वास की सब
      उसमें ज्योति जलाएँ
आओ मिलकर दीप जलाएँ
        झूमे नाचे गाएँ

रचयिता
डा0 रश्मि दुबे,
प्राथमिक विद्यालय उस्मान गढ़ी,
जनपद-गाजियाबाद।

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