२७३~ डॉ० उषा सिंह (प्रधानाध्यापिका) इंग्लिश मीडियम प्रा०वि० चकताली, विकास क्षेत्र- सिरकोनी, जनपद- जौनपुर

🏅अनमोल रत्न🏅

"शिक्षा किसी भी व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र की बुनियादी आवश्यकता होती है और उसमें भी प्राथमिक शिक्षा बालक के भावी शिक्षा एवम जीवन की आधारशिला होती है।"

आज जब हम बुनियादी या बेसिक शिक्षा की बात कर रहे है तो दोस्तों !! आईए हम आपका परिचय बेसिक शिक्षा की एक कर्मठ एवम कर्तव्य निष्ठ शिक्षिका से कराते है जिन्होंने बेसिक शिक्षा के उत्थान हेतु तन, मन एवं धन से अनवरत प्रयासरत है। आपके कुशल नेतृत्व क्षमता और सरल स्वभाव ने ऐसा कार्य किया कि आज बच्चे, अभिभावक, सहयोगी शिक्षक, ग्राम प्रधान से लेकर रसोईयां एवं सफाई कर्मी तक सभी विद्यालय में सहयोग करने के लिए सदैव तत्पर रहते है।

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तो आइए चलते है उन शिक्षिका डॉ०
उषा सिंह (प्रधानाध्यापिका) इंग्लिश मीडियम प्रा०वि० चकताली, विकास क्षेत्र- सिरकोनी, जनपद- जौनपुर के पास उनके विचार उन्हीं के शब्दों में:
👉1-सम्मानित शिक्षक भाइयों एवं बहनों, इस विद्यालय में मेरी नियुक्ति 01अगस्त सन-2016 को हुई। मेरी पहली नियुक्ति 10 जनवरी-2006 को प्रा0 वि0 कोठवार, करंजाकला, जनपद- जौनपुर में हुई। वहाँ पर मैं 8 महीने रही, पुनः उसी साल 1 सितंबर 2006 में मेरा स्थानांतरण प्रा0 वि0 शिवापर, सिरकोनी, जनपद- जौनपुर में में हुआ। वहाँ मैं लगभग 9 वर्षों तक सहायक अध्यापिका के रूप में बेसिक शिक्षा विभाग की सेवा करते हुए अप्रैल 2015 में प्रोन्नति पाकर प्रा0 वि0 हीरापुर, सिरकोनी, जनपद-जौनपुर में प्र0 अ0 के रूप में कार्यरत हुई। 1 साल 3 माह तक हीरापुर में प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्य करने के बाद पुनः हम प्रा0 वि0 चकताली में उसी पद पर दिनाँक 1 अगस्त 2016 को स्थानांतरित होकर आयी।
👉2-उस समय विद्यालय में स्कूल आने वाले छात्रों की संख्या मात्र 30 से 35 थी। विद्यालय का पहला दिन आज भी मेरे दिमाग में रचा- बसा है जो स्थिति विद्यालय की पहले दिन मेरे सामने थी। बच्चों की कम उपस्थिति तो थी ही साथ ही साथ ऑफिस में एक टूटी फूटी अलमारी उसके अंदर इधर-उधर बिखरी हुई फाइलें, अध्यापकों का बच्चों के साथ कोई लगाव नहीं। उपरोक्त सारी बाते मेरे मन - मस्तिष्क को झकझोरती रही कि ऐसा हम क्या करें जिससे कि ये विद्यालय, गांव और ब्लॉक ही नहीं अपितु जनपद जौनपुर का नम्बर 1 का विद्यालय बन सके और मेरे इन नन्हे मुन्ने छात्रों का भविष्य सुधार सके।
उपरोक्त बातों को सोचते हुए हम दूसरे ही दिन अभिभावक संपर्क में निकल गयी और अपने मन में यह दृढ संकल्प लिया की इस विद्यालय एवम विद्यालय के बच्चों की दिशा एवम दशा को सुधारना ही एकमात्र हमरा लक्ष्य होगा। पहली बार अभिभावक संपर्क था मेरा इस गांव में मुझे उम्मीद न थी कि इस गांव में भ्रमण करने पर मुझे इतनी बड़ी सफलता मिलेगी, गांव में जाकर अभिभावकों से संपर्क तो किये ही इसके साथ ही साथ उसी दिन हमने 14 नामांकन भी किया।

👉3 -2 अगस्त 2016 को 14 छात्रों का नामांकन करने के उपरान्त ऑफिस में रखी गयी फाइलों एवम रजिस्टरों को व्यवस्थित किया जो की एक लाल रंग के कपड़े में गठ्ठर बाधकर रखी गयी थी। अलमारी जो की टूटी हुई थी उसकी मरम्मत करायी। महापुरूषों की जयन्तियां जैसे आयी वैसे - वैसे उनकी तस्वीर बनवायी कारन विद्यालय में एक भी महापुरुषों के चित्र या फोटो नहीं थे। छोटी - छोटी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने आगे बढ़ने का प्रयास किया।
👉4 -विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करते ही मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती थी विद्यालय के #भौतिक_परिवेश में सुधार लाने की। रंगाई -पुताई के अभाव में विद्यालय बहुत ही खराब हो गया था। शासन से रंगाई पुताई के नाम पर मात्र 8000 रूपये आता है जिससे मेरे विद्यसय की बाउंड्री वाल भी न पेंट हो सके। विद्यालय का कैंपस एवम बाउंड्री वाल बहुत ही बड़ा है जिसे पेंट कराने में कम से कम 40000 रूपये का खर्च था, कार्य कठिन था लेकिन मैं हिम्मत नही हारी और इसके कार्य के लिए समाज की सहभागिता को सुनिश्चित किया। मैं ग्राम प्रधान एवम अपने खंड शिक्षा अधिकारी श्री राजेश गुप्ता जी से मिली। जिन्होंने समय समय पर मेरा उचित मार्ग दर्शन एवम सहयोग किया। खण्ड शिक्षा अधिकारी महोदय एवम ग्राम प्रधान जी के सहयोग से ये कार्य भी अच्छी तरह से सम्पन्न हुआ और अब विद्यालय की काया ही पलट गई। मेन गेट से अंदर विद्यालय तक जाने के लिए रोड बना भी नही था हमलोग बाहर ही अपनी स्कूटी खड़ी करते थे। बरसात के दिनों में तो बहुत दिक्कत होती थी किंतु समाज के सहयोग से वह कार्य भी सम्पन्न हुआ और मेन गेट से अंदर तक आने जाने के लिए खड़ंजा भी लग गया।
👉5 -अब बारी आई शैक्षिक परिवेश में सुधार लाने की शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने हेतु बच्चों की नियमित उपस्थिति अनिवार्य थी जब बच्चें रोज विद्यालय आएंगे ही नहीं तो Quality Education की संकल्पना भी बेमानी है। बच्चे एक दिन विद्यालय आते तो बीच में चार दिन गोल हो जाते। 74 नामांकन के सापेक्ष मात्र 25 से 30 बच्चों की उपस्थिति यह सिद्ध कर रहा था कि बच्चों को विद्यालय में कोई रूचि ही नहीं है जिसका कारण शिक्षक अभी तक बच्चों को अपना ही नहीं पाये थे। बच्चों को अपना बनाने के लिए खुद बच्चा बनाना पड़ता है। उनके मानसिक स्तर पर उतरना पड़ता है। इन बातों का अध्ययन करने के बाद मैं विद्यालय में बच्चों की रूचि उत्पन करने हेतु कुछ खेल की सामग्री जैसे - फुटबाल, कैरम बोर्ड, लूडो एवम रस्सी कूदने की सामग्री ले आयी, इसके साथ ही साथ मैं अपने सहायकों से भी इस विषय पर विचार-विमर्श कर मैं स्वयं एवम अपने सहायकों को लेकर बच्चों के मानसिक स्तर पर उतर कर उनके साथ खेलते - खाते और खेल - खेल में ही उनके अंदर शिक्षा की जिज्ञासा रूपी बीज का रोपण करने का प्रयास करती गयी जिसका असर ये हुआ की बच्चों के मन में विद्यालय एवम शिक्षा के प्रति रूचि का जागरण हुआ। शिक्षक बच्चों का रोल मॉडल होता है इसी बात को चरितार्थ करते हुए मैं स्वयं समय से विद्यालय पहुँचकर बच्चों में भी समय से विद्यालय आने की आदत डाली। अब जो बच्चे कभी समय से विद्यालय नहीं आते थे और प्रार्थना तथा राष्ट्र गान का उच्चारण भी शुद्ध रूप से नहीं कर पाते थे। आज वही बच्चें शुद्ध उच्चारण के साथ ही साथ हिंदी तथा इंग्लिश में प्रार्थना एवम प्रतिज्ञा धारा प्रवाह गति से करा रहे है।

👉6 -सामुदायिक सहभागिता: समाज के लोगों को विद्यालय से जोड़ने के लिए समय-समय पर गांव के लोगों को समय समय पर विद्यालय में बुलाती रही एवम बच्चों की प्रगति रिपोर्ट उन्हें बताती रही जिसका असर ये हुआ की लोग स्वतः ही अपने बच्चों की प्रगति की जानकारी रखने में रूचि लेने लगे। इसी के साथ ही साथ समाज के लोगो को विद्यालय से जोड़ने के लिए समय समय पर अपने यहाँ सामाजिक व्यक्तियों को आमंत्रित करती रही । विद्यालय में पुस्तक एवम ड्रेस वितरण हेतु जफराबाद के यशस्वी विधायक माननीय श्री हरेंद्र सिंह जी को आमंत्रित कर ड्रेस एवम पुस्तको का वितरण सुनिश्चित किया। बच्चे हमारे पर्यावरण से भी अवगत होते रहे जिसके लिए हमने समाजसेवी श्रीमाती किरण मिश्र जी को आमंत्रित कर विद्यालय में पेड़- पौधे लगवाए और उनकी देखभाल बच्चे ही करते है
👉7 -विद्यालय नित्य प्रति अपनी नवीन ऊंचाइयों की तरफ अग्रसर हो रहा है जहाँ हम सभी उन्हें विभिन्न प्रकार के नवाचारों से अवगत कराते हुए उनके मानसिक विकास की तरफ अग्रसर हो रहे है । *विभिन्न प्रकार के नवाचारों में - ज्वालामुखी , शारीर के भिन्न भिन्न भाग जैसे - हार्ट , फ़ेफ़डे , शौर्य मंडल हरबेरियंम फाइल , कक्षा 1 के बच्चे बिभिन्न फल एवम सब्जियों के नाम इंग्लिश में बता रहे है । क्रॉफ्ट के अंतर्गत बच्चो को हम सभी चार्ट पेपर एवम थर्माकोल की सीट पर देश के अभी तक के सभी राष्ट्रपति एवम प्रधान मंत्री के नाम , राज्य एवम राजधानी के नाम , रक्षा बंधन पर राखियों का निर्माण बच्चो से करा रहे है । विद्यालय में विभिन प्रकार के पर्व जैसे 15 अगस्त , 26 जनवरी , 2 अक्टूबर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम , जन्माष्टमी पर राधा किशन की लीलाओं का मंचन और दशहरा पर हमारे विद्यालय के बच्चों द्वारा आधुनिक रामलीला का मंचन किया गया।
👉8- मेरे विद्यालय के बच्चे विभन्न खेलो एवम सांस्कृतिक कार्यक्रमो में प्रथम स्थान प्रप्त किये । ब्लॉक स्तरीय गणित विज्ञान मेला एवम प्रदर्शनी में मेरे बिद्यालय के बच्चे द्वितीय स्थान प्रप्त किये । बच्चो को प्रत्येक गतिविधियों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के लिए मैं सदैव ही उन्हें प्रेरित करती रहती हूँ। विद्यालय उत्सव दिवस कार्यक्रम में मेरे विद्यालय पर मुख्य अतिथि हमारे खंड शिक्षा अधिकारी श्री राजेश गुप्ता जी थे जिन्होंने बच्चो के सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखकर बहुत ही प्रभावित हुए और मेरे शिक्षा एवम बच्चो के प्रति समर्पण को देखते हुए इस विद्यालय को इस वर्ष इंग्लिश मीडियम का दर्जा दे दिए जो मेरे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि तो थी ही साथ में चुनौती भी । उपलब्धि ये की ब्लॉक में लगभग 200 विद्यालय होंगे जिसमे 8 विद्यालयो का चयन होना था जिसमे एक मेरा विद्यालय भी था ।*चुनौती ये की इन बच्चों को हिंदी मिडियम से अब इंग्लिश मीडियम में पढ़ाना । मै ने इस चुनौती को भी स्वीकार किया और आज की डेट में हमरे बिद्यालय के बच्चे इंग्लिश में बात चित कर रहे है , असेम्बली का सारा कार्य जैसे प्रार्थना , दैनिक प्रतिज्ञा , स्लोगन आदि इंग्लिश में करा रहे है । *अभी हाल ही में 14 सितम्बर को* हमारे ब्लॉक में शिक्षक विदाई समारोह कार्यक्रम आयोजित था जहाँ पर विधायक*माननीय हरेंद्र सिंह जी* के अलावा हमारे जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ0 राजेंद्र सिंह जी भी उपस्थित थे । मेरे विद्यालय के बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम को देखकर *माननीय बेसिक शिक्षा अधिकारी जी* बच्चो को अपने पास बुलाकर उन्हें पुरस्कार स्वरूप 2000 रूपये एवम उनका परिचय पूछे । हमारे सभी स्टॉफ का परिचय पूछे ये मेरे लिए अविस्मरणीय क्षण था।



👉9 - आज हमारे सभी सहयोगी रोली अस्थाना , पूनम रॉव , रंजना तिवारी एवम शिप्रा सिंह के अथक परिश्रम से विद्यालय नित्य नयी उचाईयो की तरफ अग्रसर है। चारो ही अध्यापिकाए अपना पूरा समय बच्चों के सुनहरे भविष्य को बुनने में लगा देती हैं।

👉10- माह अप्रैल एवम मई में जब छात्र संख्या बहुत कम हो जाती है इसे दूर करने के लिए हम सभी ने समर कैंप का आयोजन किया जिससे बच्चो की उपस्थिति तो बढ़ी ही साथ ही साथ उन्होंने बहुत कुछ जैसे - पेन्टिग, रंगोली, ओरिगामी आदि सीखा और कुछ खेल कूद मे प्रतिभाग किया जैसे - रस्सा कस्सी , चम्मच दौड़ , उंची कूद , कुर्सी दौड़ आदि।

👉11 -इसके साथ ही साथ मिशन शिक्षण संवाद द्वारा शुरू किए गए दैनिक श्यामपट्ट सन्देश कार्य को* मेरे विद्यालय में नियमित रूप से अलग अलग अध्यापिकाओं द्वारा प्रति कार्य दिवस पर पर नियमित रूप से किया जाता है , जिसके फलस्वरूप बच्चे प्रतिदिन सामान्य ज्ञान की जानकारियो से अवगत तो होते ही है साथ ही अब उस ब्लैक बोर्ड वर्क के कार्य को अपने अध्यापको के सहयोग से खुद बच्चें सम्पादित करने लगे हैं ।

🌸निष्कर्षतः हम कह सकते है कि परिवर्तन लाने के लिए किसी सरकार या संस्था की जरूरत नही होती है , जरुरत होती है तो सिर्फ और सिर्फ दृढ़ इक्षा शक्ति की , और मेरी दृढ इक्षा शक्ति ने ही आज हमारे विद्यालय को ब्लॉक , जिला एवम प्रदेश स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है।*।आज जनपद जौनपुर में मै चकताली वाली मैडम के नाम से जानी जाती हूं । आज हमारे विद्यालय के बच्चे प्रार्थना सभा में योगा , सामान्य ज्ञान , We shall over come गीत , दैनिक प्रतिज्ञा , हिंदी एवम अंग्रेजी में अनेको गीत , बिभिन्न सब्जियों एवम फ्लो के नाम , हिंदी एवम इंग्लिश में धारा प्रवाह गति से बोल रहे है । ये सब कुछ संभव हुआ हम लीगो के अथक परिश्रम एवम मेरे दृढ़ इक्षा शक्ति से ।
🇮🇳जय हिंद , जय शिक्षक

साभार: डॉ० उषा सिंह
मिशन शिक्षण संवाद जौनपुर

नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

निवेदक: विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद
08-11-2018

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