आओ ऐसे दीप जलाएँ

मन से मन जो मिलाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ
घृणा द्वेष को दूर भगाएँ
आओ ऐसे दीप जलाएँ।।

बुझे हुए मन को हर्षाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ
कुंठाओं पर विजय दिलाएँ
आओ ऐसे दीप जलाएँ।।

सब में सुख संतोष समाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ
बेड़ा भव में पार लगाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ।।

जो प्रीत से प्रीत बढ़ाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ
जो हर गुलशन महकाये
आओ ऐसे दीप जलाएँ।।

सबमें एक उम्मीद जगाए
आओ ऐसे दीप जलाएँ
प्रेम सौहार्द जग में फैलाए
आओ ऐसे दीप जलाएँ।।

रचयिता
आनन्द मिश्रा, 
प्राथमिक विद्यालय तिगड़ा, 
विकास खण्ड-फखरपुर,
जनपद-बहराइच।

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