दीपोत्सव

रोशनी बिखरी, दीप ये जल रहे हैं,
राह के देखो तिमिर उड़ चल रहे हैं।

दीप तेरा है कि मेरा पता नहीं है,
राह में उजाला सबकी कर रहे हैं।

जले हैं खुद बिखेरी रोशनी है,
दीख वो दूर से ही सब रहे हैं।

बन गये बाती तेल सोख रहे हैं,
जुड़े रेशे रुई के जल रहे......हैं।

किया रोशन द्वार आँगन सभी का,
आज हँसकर दिये हिल-मिल रहे हैं।

वायदा आपस में जल करके सभी,
मिल एक रहना है, हमेशा कर रहे हैं।

दीप बन जो किया है करते रहेंगे,
रोशनी को साथ लेकर चल रहे हैं।
             
रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय-तेहरा,
विकास खंड-मथुरा,
जिला-मथुरा।
उत्तर प्रदेश।

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