वासुदेव बलवंत फड़के

वासुदेव बलवंत फड़के
    जन्मदिन विशेष

4 नवम्बर 1845 जिनका जन्म दिवस।
आजादी का बिगुल फूँक अंग्रेजों को किया विवश।।

किसानों की दयनीय दशा देखी तो हो गए  विचलित।
दृढ विश्वास था कि 'स्वराज' से ही होगा देश विकसित।।

जिनके नाम से युवकों में जाग्रत हो जाती राष्ट्रभक्ति।
ऐसे थे वासुदेव बलवंत फड़के स्वाधीनता की मूर्ति।।

वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आद्य क्रांतिकारी।
सशस्त्र मार्ग के अनुगामी किसानों के हितकारी।।

अंग्रेजों सत्ता के विरुद्ध जन जागरण का कार्य किया।
कोळी, भील, धांगड जातियों को संगठित किया।।

उन्होने 'रामोशी' नाम का क्रान्तिकारी संगठन खड़ा किया।
स्वाधीनता संग्राम के लिए धन एकत्र किया।।

स्वराज्य का सपना लेकर धनी, अंग्रेज साहूकारों को लूटा।
पुणे नगर पर कब्जा कर लिया अंगेजो का साहस छूटा।।

२० जुलाई १८७९ को  बीजापुर में पकड़ में आये।
अंग्रेजो की नजरों में खटके विद्रोही कहलाये।।

अंग्रेजों ने अभियोग चलाकर काले पानी का दंड दिया।
अत्याचार से दुर्बल होकर एडन कारागृह में निधन हुआ।।
   
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।

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