चरित्र को निखार दे
लफ़्ज़ों को अपने धार दे,चरित्र को निखार दे
सादगी में जिंदगी गुजार दे, खुशनुमा दयार दे
वो कली-कली महक उठे, गली-गली चहक उठे
वो मुल्क में भी अपने चमनो अमन दयार दे
हर्फ़-हर्फ़ कुछ कह रहा, अपने कुछ विचार दे
गमगीन ज़िन्दगी हुई, अपनी ज़िन्दगी सुधार दे
अपनों को भी प्यार दे, सियासत को निकाल दे
जाति,धर्म की बंदिशों को ज़िन्दगी से उतार दे
मरने के बाद न चाहिए हमको जन्नते खिज़ा
महकती ज़िन्दगी में भी खिलता हुआ दयार दे।।
रचयिता
आकिब जावेद,
सहायक अध्यापक,
अंग्रेजी माध्यम प्राइमरी स्कूल उमरेहण्डा,
विकास खण्ड-बिसंडा,
जिला-बाँदा,
उत्तर प्रदेश।
सादगी में जिंदगी गुजार दे, खुशनुमा दयार दे
वो कली-कली महक उठे, गली-गली चहक उठे
वो मुल्क में भी अपने चमनो अमन दयार दे
हर्फ़-हर्फ़ कुछ कह रहा, अपने कुछ विचार दे
गमगीन ज़िन्दगी हुई, अपनी ज़िन्दगी सुधार दे
अपनों को भी प्यार दे, सियासत को निकाल दे
जाति,धर्म की बंदिशों को ज़िन्दगी से उतार दे
मरने के बाद न चाहिए हमको जन्नते खिज़ा
महकती ज़िन्दगी में भी खिलता हुआ दयार दे।।
रचयिता
आकिब जावेद,
सहायक अध्यापक,
अंग्रेजी माध्यम प्राइमरी स्कूल उमरेहण्डा,
विकास खण्ड-बिसंडा,
जिला-बाँदा,
उत्तर प्रदेश।
Bahut sunder sir
ReplyDeleteThank you so much☺️
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