२७५~ राहुल शर्मा(प्र०अ०) प्राथमिक विद्यालय दूधली बुखारा बलियाखेड़ी, सहारनपुर
🌹🏅अनमोल रत्न🏅🌹
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- सहारनपुर से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक साथी राहुल शर्मा जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और सरकारी शिक्षा के विश्वास को समाज के बीच मजबूत करने के लिए अपने विद्यालय को बालकेन्द्रित शिक्षा का केन्द्र बना दिया। जो हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। मिशन शिक्षण संवाद परिवार आप जैसे अनमोल रत्नों का आभार प्रकट करता है।
आइये देखते है आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2210684755875776&id=1598220847122173
मेरा परिचय-
राहुल शर्मा(प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय दूधली बुखारा
बलियाखेड़ी, सहारनपुर।
मुझे विभाग में आने का सौभाग्य 2009 में मिला, लेकिन प्राथमिक विद्यालय दूधली बुखारा में मेरी नियुक्ति अगस्त 2016 में हुई। विद्यालय में नियुक्त होने के पश्चात स्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं ये सोचने लगा कि ठीक करने की शुरुआत कहाँ से करूँ। विद्यालय भवन में कुल 4 कमरे, जिनमे से 2 ज़र्ज़र स्थिति में और एक छोटा कमरा नियमित रूप से बन्द रहता था। खुलवाने पर देखा कि उसमें कचरा तथा दीवारों में तरेड़ व फर्श टूटी है। उसकी साफ़ सफाई करवाई उस स्थान को बैठने योग्य बनाया अब बारिश के मौसम में सारी बिल्डिंग में पानी आ रहा था। मेरे सारे बच्चे वहीं बैठने को मज़बूर थे। बस उस दिन से यही लक्ष्य बनाया कि प्रयास दोनों तरफ से करने होंगे।
प्रयास शुरू किए गए, शुरुआत में असफलता भी हाथ लगी। फिर सोचा पहले अभिभावकों से बात की जाये। बस इस तरफ से ये मेरा एक डेली शेड्यूल बन गया। स्कूल समय से आधा घंटा पहले आना, अभिभावकों से मुलाकात करनी, घर घर जाना, बच्चों को स्कूल लाना, उन्हें प्रोत्साहित करना। इन सबसे अलग एक ओर प्रयास किया जा रहा था, विद्यालय भवन को निर्मित करने का।
तभी मैंने अपने एक मित्र से बात की और कहा कि अगर हो सके तो मेरा सहयोग करे। मेरे स्कूल में जूते व स्वेटर वितरण करवा दो तब विभाग से स्वेटर व जूते वितरित नहीं हुए थे। वो मान गये और नवम्बर 2016 में मैंने स्वेटर (नीले रंग के) व जूते वितरित करवाये।
बच्चों से बातचीत में पता चला कि उन्होंने आज तक कोई मूवी बाहर नहीं देखी, फिर विचार आया क्यों न इन्हें मूवी दिखाई जाये। तब 1 जनवरी 2017 को बच्चों को प्रोजेक्टर पर जंगल बुक मूवी दिखाई। बच्चे बहुत खुश हुए। बहुत आनंद दायक पल था।
इसके साथ ही बच्चों का नीचे बैठना मुझे कभी अच्छा नही लगा लेकिन कहाँ से शुरू करता। अगर फ़र्नीचर के बारे में सोचूँ तो बिल्डिंग का कैसे करता। लेकिन मैंने सोचा पहले बच्चों के बैठने की व्यवस्था करते हैं। और हमने सभी कक्षा में बच्चों के बैठने की बेंच डेस्क डलवा दी। अब बच्चे खुश थे। उनके माता पिता को एहसास हो गया था कि मैं उनके लिए कुछ कर रहा हूँ।
इन सबसे इतर मैं अपने परिवार जनों का भी धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने मेरा पूर्ण रूप से मेरा सहयोग दिया।
एक बार स्कूल में बच्चे कम आये, पता चला कि गाँव में झूले वाला आया है और बच्चे वहीं हैं। बस फिर क्या था, महीने में एक बार झूले वाले को बुला लेता हूँ और बच्चे खुश होकर झूलते हैं।
अब बिल्डिंग के लिए प्रयास अधिक किये गए और परिणाम ये हुआ कि विभाग ने मंज़ूरी दे दी। अब ये मेरे लिए एक चैलेंज था कि जिस चीज़ के लिए इतनी भाग दौड़ की। उसे अलग मज़बूत और सबसे बेहतर कैसे बनाई जाए।
पेंट के बाद कमरों में बच्चों के लिए ख़ास वाल पेंटिंग भी कराई। ये सब काम मैंने मई, जून की छुट्टियों में कराया जो एक टीचर के लिए स्पेशल समय होता है।
इन सब में मेरे मित्रों और परिवार जनों का भी सहयोग रहा। मैंने अपनी तरफ से अपना बेस्ट दिया लेकिन अभी मुझे और काम करने होंगे। आज मेरे विद्यालय में 170 में से 155/ 160 बच्चे उपस्थित रहते हैं। विद्यालय में बहुत सी ऐक्टिविटी होती हैं, जो मनोरंजक होने के साथ-साथ हमें तथा बच्चों को बहुत कुछ सिखाती भी हैं।
प्रार्थना म्यूज़िक सिस्टम पर होती है। हर महीने बच्चों के बर्थडे सेलिब्रेट होते हैं। एक हेल्थी एटमॉस्फियर है सब के लिए। साथ ही मेरे विद्यालय में मुझे मिलाकर 5 साथी हैं....
1-मैं राहुल शर्मा.. (प्र०अ०)
2-वल्लरी हरिश्चंद्र देशपाण्डेय विद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका ... वे अपना कार्य पूरी मेहनत से करती हैं तथा बच्चों से भावनात्मक लगाव रखती है।
3-नेहा जी -मेरे विद्यालय का पेपर वर्क करती हैं।
4 नूतन जी -वह बच्चों को नयी-नयी गतिविधियों से पढ़ाती हैं।
5-ज्योति जी- वह विद्यालय का बाल संसद की कार्य गतिविधियां..art और craft कार्य... बच्चों के लिए नयी learning activities तथा बहुत से नवाचर कार्य करती हैं।
विद्यालय परिवार मेरा हर कार्य में पूरा सहयोग करते हैं। ....ये मेरा सोभाग्य हैं इस team के लिए..
अभी बहुत कुछ करना है, और करेंगे भी ।
Miles to go before I sleep,
Miles to go before I sleep.
Thanks
संकलन: आशीष शुक्ला
टीम मिशन शिक्षण संवाद
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
निवेदक: विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद
15-11-2018
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- सहारनपुर से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक साथी राहुल शर्मा जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और सरकारी शिक्षा के विश्वास को समाज के बीच मजबूत करने के लिए अपने विद्यालय को बालकेन्द्रित शिक्षा का केन्द्र बना दिया। जो हम जैसे हजारों शिक्षक साथियों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। मिशन शिक्षण संवाद परिवार आप जैसे अनमोल रत्नों का आभार प्रकट करता है।
आइये देखते है आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
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मेरा परिचय-
राहुल शर्मा(प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय दूधली बुखारा
बलियाखेड़ी, सहारनपुर।
मुझे विभाग में आने का सौभाग्य 2009 में मिला, लेकिन प्राथमिक विद्यालय दूधली बुखारा में मेरी नियुक्ति अगस्त 2016 में हुई। विद्यालय में नियुक्त होने के पश्चात स्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं ये सोचने लगा कि ठीक करने की शुरुआत कहाँ से करूँ। विद्यालय भवन में कुल 4 कमरे, जिनमे से 2 ज़र्ज़र स्थिति में और एक छोटा कमरा नियमित रूप से बन्द रहता था। खुलवाने पर देखा कि उसमें कचरा तथा दीवारों में तरेड़ व फर्श टूटी है। उसकी साफ़ सफाई करवाई उस स्थान को बैठने योग्य बनाया अब बारिश के मौसम में सारी बिल्डिंग में पानी आ रहा था। मेरे सारे बच्चे वहीं बैठने को मज़बूर थे। बस उस दिन से यही लक्ष्य बनाया कि प्रयास दोनों तरफ से करने होंगे।
प्रयास शुरू किए गए, शुरुआत में असफलता भी हाथ लगी। फिर सोचा पहले अभिभावकों से बात की जाये। बस इस तरफ से ये मेरा एक डेली शेड्यूल बन गया। स्कूल समय से आधा घंटा पहले आना, अभिभावकों से मुलाकात करनी, घर घर जाना, बच्चों को स्कूल लाना, उन्हें प्रोत्साहित करना। इन सबसे अलग एक ओर प्रयास किया जा रहा था, विद्यालय भवन को निर्मित करने का।
तभी मैंने अपने एक मित्र से बात की और कहा कि अगर हो सके तो मेरा सहयोग करे। मेरे स्कूल में जूते व स्वेटर वितरण करवा दो तब विभाग से स्वेटर व जूते वितरित नहीं हुए थे। वो मान गये और नवम्बर 2016 में मैंने स्वेटर (नीले रंग के) व जूते वितरित करवाये।
बच्चों से बातचीत में पता चला कि उन्होंने आज तक कोई मूवी बाहर नहीं देखी, फिर विचार आया क्यों न इन्हें मूवी दिखाई जाये। तब 1 जनवरी 2017 को बच्चों को प्रोजेक्टर पर जंगल बुक मूवी दिखाई। बच्चे बहुत खुश हुए। बहुत आनंद दायक पल था।
इसके साथ ही बच्चों का नीचे बैठना मुझे कभी अच्छा नही लगा लेकिन कहाँ से शुरू करता। अगर फ़र्नीचर के बारे में सोचूँ तो बिल्डिंग का कैसे करता। लेकिन मैंने सोचा पहले बच्चों के बैठने की व्यवस्था करते हैं। और हमने सभी कक्षा में बच्चों के बैठने की बेंच डेस्क डलवा दी। अब बच्चे खुश थे। उनके माता पिता को एहसास हो गया था कि मैं उनके लिए कुछ कर रहा हूँ।
इन सबसे इतर मैं अपने परिवार जनों का भी धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने मेरा पूर्ण रूप से मेरा सहयोग दिया।
एक बार स्कूल में बच्चे कम आये, पता चला कि गाँव में झूले वाला आया है और बच्चे वहीं हैं। बस फिर क्या था, महीने में एक बार झूले वाले को बुला लेता हूँ और बच्चे खुश होकर झूलते हैं।
अब बिल्डिंग के लिए प्रयास अधिक किये गए और परिणाम ये हुआ कि विभाग ने मंज़ूरी दे दी। अब ये मेरे लिए एक चैलेंज था कि जिस चीज़ के लिए इतनी भाग दौड़ की। उसे अलग मज़बूत और सबसे बेहतर कैसे बनाई जाए।
पेंट के बाद कमरों में बच्चों के लिए ख़ास वाल पेंटिंग भी कराई। ये सब काम मैंने मई, जून की छुट्टियों में कराया जो एक टीचर के लिए स्पेशल समय होता है।
इन सब में मेरे मित्रों और परिवार जनों का भी सहयोग रहा। मैंने अपनी तरफ से अपना बेस्ट दिया लेकिन अभी मुझे और काम करने होंगे। आज मेरे विद्यालय में 170 में से 155/ 160 बच्चे उपस्थित रहते हैं। विद्यालय में बहुत सी ऐक्टिविटी होती हैं, जो मनोरंजक होने के साथ-साथ हमें तथा बच्चों को बहुत कुछ सिखाती भी हैं।
प्रार्थना म्यूज़िक सिस्टम पर होती है। हर महीने बच्चों के बर्थडे सेलिब्रेट होते हैं। एक हेल्थी एटमॉस्फियर है सब के लिए। साथ ही मेरे विद्यालय में मुझे मिलाकर 5 साथी हैं....
1-मैं राहुल शर्मा.. (प्र०अ०)
2-वल्लरी हरिश्चंद्र देशपाण्डेय विद्यालय की वरिष्ठ अध्यापिका ... वे अपना कार्य पूरी मेहनत से करती हैं तथा बच्चों से भावनात्मक लगाव रखती है।
3-नेहा जी -मेरे विद्यालय का पेपर वर्क करती हैं।
4 नूतन जी -वह बच्चों को नयी-नयी गतिविधियों से पढ़ाती हैं।
5-ज्योति जी- वह विद्यालय का बाल संसद की कार्य गतिविधियां..art और craft कार्य... बच्चों के लिए नयी learning activities तथा बहुत से नवाचर कार्य करती हैं।
विद्यालय परिवार मेरा हर कार्य में पूरा सहयोग करते हैं। ....ये मेरा सोभाग्य हैं इस team के लिए..
अभी बहुत कुछ करना है, और करेंगे भी ।
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Thanks
संकलन: आशीष शुक्ला
टीम मिशन शिक्षण संवाद
नोट: आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
निवेदक: विमल कुमार
मिशन शिक्षण संवाद
15-11-2018
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