बच्चे

ईश्वर का प्रतिरूप हैं बच्चे,
उपवन का सुंदर फूल हैं बच्चे।

माँ की आँचल का मान हैं बच्चे,
पिता का अभिमान हैं बच्चे।

घर आँगन की शान हैं बच्चे,
खुशियों की दुकान हैं बच्चे।

उदास चेहरे की मुस्कान हैं बच्चे,
नटखट भोले भगवान हैं बच्चे।

कागज की बहती नाव हैं बच्चे,
तपती धूप की छाँव हैं बच्चे।

इंद्रधनुष से सतरंगी बच्चे,
खट्टी मीठी गोली बच्चे।

चिड़ियों से हैं चंचल बच्चे,
हर घर के हैं कंचन बच्चे।

हर देश की आन हैं बच्चे,
भविष्य की पहचान हैं बच्चे।

अपनी संस्कृति से इनको जोड़ें,
दुनिया में बढ़ाएँगे मान ये बच्चे।

दें इनको बस सही दिशा,
रच जाएँगे इतिहास ये बच्चे।

रचयिता
सुधा गोस्वामी,
सहायक शिक्षिका,
प्रथमिक विद्यालय गौरिया खुर्द,
विकास क्षेत्र-गोसाईंगंज,
जनपद-लखनऊ।

Comments

  1. बच्चे मन के सच्चे इनको सही दिशा देना ही सच्ची शिक्षा है ।

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