पर्वतारोहण दिवस

 पर्वतारोहण के लिए,
 पत्थर जैसी हिम्मत रखनी।
 सीना हो फौलाद सा,
 चट्टान जैसी सीरत रखनी।

विचलित जो ना कर पाये,
इतने मन के पक्के बनना।
तेज धूप, हवा के झोंके,
धैर्य न डोले सच्चे बनना।

लहरों से न घबराना,
चट्टानों से है टकराना।
तूफानों में घुस जाना,
पर्वतों पर लहराना।

सीख लेनी है सबको,
पत्थर बने पहाड़ों से।
चिलचिलाती धूप से,
कंपकंपाती सर्दी, जाड़ों से।

सुख दुःख तो जीवन में सबके,
आते जाते रहते हैं।
हौंसले बुलंद हो जिनके,
उनके आड़े कुछ नहीं आते हैं।

दिनों की रौनक, रातों के अंधेरे,
ये सब जीवन के हैं फेरे।
धैर्य हो जिनमें चट्टानों सा,
उनको तो कोई ना घेरे।

कठिनाइयों को पार करके,
पर्वतारोहण करते हैं।
वीर सपूत हैं भारत माँ के,
जो ध्वजारोहण करते हैं।

हिम्मत वाले ही नर-नारी,
पर्वतों पर चढ़ते है।
परचम लहराकर भारत का,
इतिहास जग में रचते हैं।

रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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