चन्द्रशेखर आजाद

स्वातंत्र्य रण में,
एक नयी हुंकार भरने को।
उतरे युवा चंद्रशेखर,
अंग्रेजों से प्रतिकार करने को।

पर्याय शिव के नाम के,
शिव सम उनका काम था।
संहार क्रांति धारणधारी जाते जहाँ,
अंग्रेजों का काम तमाम था।

'जय भारती' का उदघोष कर,
मृत्यु से दृष्टि मिलाते थे।
निर्भय, उन्मुक्त था व्यक्तित्व,
आजाद तभी कहलाते थे।

दिनकर का प्रखर प्रताप बन,
अभीष्ट आजादी को संघर्ष किया।
निज आन लौहवत बनी रहे,
स्वयं वीरगति पर हर्ष किया।

'आजाद' कहीं तुम गए नहीं,
बन विद्रोह असहाय अधरों पर रहते हो।
है नमन तुम्हें 'अनुराग' का है,
बन लहू भारत की जवानी में बहते हो।

रचयिता
डॉ0 अनुराग पाण्डेय,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय औरोतहरपुर,
विकास खण्ड-ककवन,
जनपद-कानपुर नगर।

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