मातृ-पितृ दिवस

मात-पिता भगवान हैं,
बच्चों को समझना होगा।
मात-पिता ही जान हैं,
ध्यान इनका रखना होगा।

अपनी ख्वाइश समर्पित करके,
पालन पोषण करते हैं।
खाना-पीना, सोना त्याग कर,
जीवन यापन करते हैं।

हर घर में भगवान न आते,
मात-पिता को भेजा है।
ईश्वर का उपहार है यह,
सबको यही संदेशा है।

पालन-पोषण शिक्षा, संस्कार,
मात-पिता ही देते हैं।
प्यार, समझ, परिवार, तालमेल,
इनके ही संदेशे हैं।

माता-पिता का ध्यान रखना,
कर्तव्य है यह बच्चों का।
झूठ दिखावे से दूर रहो,
और साथ देना सच्चों का।

बड़ों की जो सेवा करते,
सफल जीवन में होते हैं।
मात-पिता का निरादर करने वाले,
असफल हमेशा रहते हैं।

धन-दौलत, ऐश्वर्य, कमाई,
सब आनी जानी माई है।
मान सम्मान, आशीर्वाद की दौलत,
सबसे बड़ी कमाई है।

माता-पिता को समय देकर,
सुख, दुःख में सब साथ रहो।
सबसे बड़ी दौलत दुनिया की,
उन चरणों में स्थान रखो।

रचयिता
बबली सेंजवाल,
प्रधानाध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय गैरसैंण,
विकास खण्ड-गैरसैंण 
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

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