श्री देव सुमन स्मृति दिवस

25 मई 1916 के दिन
जौल गाँव टिहरी जिला,
श्री हरिराम बडोनी व तारादेवी
के घर एक 'सुमन' खिला।

प्रारंभिक शिक्षा चम्बा से
फिर देहरादून का रुख किया,
मात्र 14 वर्ष की आयु में
नमक सत्याग्रह में भाग लिया।

प्रतिभासम्पन्न कवि/लेखक
के रूप में बनी पहचान,
भूषण, प्रभाकर एवं विशारद
हिंदी साहित्य का मिला सम्मान।

20वीं सदी का वो दौर
कई अन्यायपूर्ण कर एवं बेगार,
होकर मजबूर टिहरी की जनता
थी सामंती व्यवस्था की शिकार।

लिया 'सुमन' ने तब संकल्प
लोगों का जीवन सुखमय करूँगा,
'प्रजामण्डल' की स्थापना से
सामंती व्यवस्था को मिटाऊँगा।

किन्तु 30 दिसम्बर 1943 को
'सुमन' टिहरी कारागार में बंद हुए,
भीषण यातनाएँ सहकर भी
अपने संकल्प से न पीछे हटे।

माँगें पूरी न होने पर
आमरण अनशन शुरू किया,
अन्ततः 25 जुलाई 1944 को
वीर 'सुमन' चिरनिद्रा में सो गया।

मातृभूमि पर प्राण न्योछावर
दिया अमर बलिदान,
देवभूमि के वीर सपूत को
शत-शत बार प्रणाम।

रचयिता
मंजू गुसांईं,
सहायक अध्यापक,
राजकीय आवासीय प्राथमिक विद्यालय थराली,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।

Comments

  1. तरूण तपस्वी को शत शत नमन🙏🙏 सुंदर कविता👌👌👌

    ReplyDelete
  2. अनुपम पंक्तियां

    ReplyDelete

Post a Comment

Total Pageviews