मात्राएँ शब्द और वाक्य

तर्ज-ओठों से छू लो तुम

व्यंजन पहले और स्वर बाद में आये, स्वर मात्रा रूप में लगते हैं,
इनसे ही तो प्यारे बच्चों, शब्द और वाक्य बनते हैं।
1-वर्णों से ऐसा मेल हुआ, एक नए शब्द ने जन्म लिया,
इनसे ही शब्द बनाकर, बनते हैं नए-नए शब्द,
स्वर शुरू में व्यंजन बाद में हो, ये ही शब्द कहलाते हैं।व्यंजन.......
2-शब्दों का ऐसा क्रम होता, जो अर्थ कुछ और बताते हैं,
प्यारे बच्चों यही तो फिर, वाक्य कहे जाते हैं,
प्रतिदिन इनका करके प्रयोग, व्याकरण को तुम जान जाते।व्यंजन..…
3-व्यंजन-गुच्छ के प्रयोग से भी, हम शब्द कुछ बनाते हैं,
पत्ता, बच्चा, चिट्ठी, गत्ता, इसके उदाहरण में आते हैं,
नित सही प्रयोग करके तुम, मात्राएँ, शब्द और वाक्य सीखते हो।
व्यंजन...

रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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