प्रकृति

फूलों की हो अनुपम सुंदरता
नदियों की हो मीठी जलधारा
धरा सुशोभित हो हरियाली से
प्रकृति की है यही पुकार
प्रकृति की है यही पुकार

वन्यजीव न लुप्त होएँ अब
वृक्ष लगा वन संरक्षण करें अब
वातावरण  दूषित न होए अब
पॉलीथिन को दूर करें अब
प्रकृति की है यही पुकार
प्रकृति की है यही पुकार

जल ही जीवन जल ही प्रधान है
जंगल जीव सब में प्राण है
भोग विलास में लिप्त न होएँ
मनुज करे प्रकृति सरंक्षण
प्रकृति की है यही पुकार
प्रकृति की है यही पुकार

पंछी चहके चहुँओर
शुद्ध हवा, जल भी शुद्ध हो
दूर प्रदूषण करें हम मिल
स्वर्ग बना दें धरती को हम
प्रकृति की है यही पुकार
प्रकृति की है यही पुकार

रचयिता
हिमांशी यादव,
सहायक शिक्षिका,
प्राथमिक विद्यालय गोपालपुर,
विकास खण्ड-सफीपुर,
जनपद-उन्नाव।

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