कागज की नाव

दो सहेली राधा, शीला
देख रही थीं टकी लगाए
आसमान वो नीला-नीला
राधा बोली, सुन शीला
मेघ गगन में कब छाएँगे
कब काका पानी बरसाएँगे
कब हम कागज की नाव चलाएँगे
अगले पल ही लग गयी झड़ी
राधा देख दंग रह गयी खड़ी
शीला हर्षित होकर बोली
राधा तेरी हुई अभिलाषा पूरी
झट से ला कागज, न कर देरी
अब हम कागज की नाव बनाएँगे
उसको पानी में चलाएँगे
राधा मन ही मन हर्षायी
झट भीतर से कागज आयी
दोनों ने फिर नाव बनायी
उसको पानी में तैरायी
दोनों ने फिर कविता गायी
रिमझिम-रिमझिम झड़ी लगायी
ऋतुओं की रानी है आयी
ढेर सारी खुशियाँ लायी
वर्षा आयी, वर्षा आयी
इतने में एक ध्वनि पड़ी सुनाई
माँ ने थी फटकार लगायी
आती हो दोनों या करूँ पिटाई
राधा बोली हम दोनों न आएँगे
हम तो कागज की नाव चलाएँगे
चाहे कर लो आप पिटाई
दोनों संग में चिल्लायीं
फिर से दोनों ने कविता दोहरायी
रिमझिम-रिमझिम झड़ी लगायी
ऋतुओं की रानी है आयी
ढेर सारी खुशियाँ लायी
वर्षा आयी, वर्षा आयी
वर्षा आयी, वर्षा आयी

रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

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