प्रकृति प्रेम

सुनो मेरे नन्हें-मुन्ने बच्चों प्यारे
आप  गुरुजनों के नयनों के तारे,

इस धरा को  पेड़-पौधों से प्यार,
खुशियाँ और समृद्धि ये देती अपार

जिस जगह हों हरियाली भरपूर,
सदा जन-जीवन में खिलता नूर

घुमड़ कर बादल, वर्षा कर जाते,
सब जल स्रोतों में प्राण भर जाते।

जड़ वृक्षों की जल धारण करती,
जमीन में  भी नमी भरपूर रहती।

जंगल जल जीवन प्रदान करते,
अमूल्यता से मनुज की झोली भरते।

जो भर दे सबके खेत-खलिहान,
ऐसी है माँ प्रकृति हमारी महान।

आओ सब मिल प्रण करें आज से
बनायें धरा को हरा, भरें अनाज से।

माँ भारती को इस धन से भरपूर करें,
सुखमय जीवन को इतना ध्यान जरूर धरें।

रचयिता
सावित्री उनियाल, 
सहायक अध्यापक,
राजकीय जूनियर हाईस्कूल चिनाखोली,
विकास खण्ड-डुंडा,
जनपद-उत्तरकाशी,
उत्तराखण्ड।

Comments

Total Pageviews