मुंशी प्रेमचंद जयंती

मुंशी काका आपको शत शत प्रणाम,
जग में किया आपने नाम।

     भारतीयता के प्रतीक थे सच्चे,
थे विचार आपके नेक और अच्छे।

अजायब राय आनंदी के आँगन में,
अनमोल खिला एक पुष्प चमन में।

अंग्रेजी, फारसी, दर्शन, इतिहास से,
मुंशी जी ने इंटरमीडिएट पास किया।

मुंशी जी ने शिक्षा विभाग में,
इंस्पेक्टर पद प्राप्त किया।

          पढ़ना लिखना आपको भाए,
अध्यापक बन 18 रुपए सैलरी पाए।

साहित्य में यथार्थता की रखी नींव,
पाई सफलता आपने अतीव।

मंत्र ,नशा, पंच फूल, शतरंज के खिलाड़ी,
पूस की रात, आत्माराम व बूढ़ी काकी।

नमक का दरोगा, प्रेम पूर्णिमा, उधार घड़ी,
जुर्माना, बड़े भाई साहब, बड़े घर की बेटी।

करके यथार्थ वर्णन जीवन का सत्य दर्शाया,
भावपूर्ण कहानियों ने सबके दिलों में स्थान बनाया।

                रंगभूमि, कर्मभूमि, गबन और गोदान,
प्रेमाश्रम, सेवासदन, लिखे निर्मला जैसे उपन्यास।

जग में आपकी रचनाओं ने परचम लहराया,
हिंदी साहित्य में आपने खूब नाम कमाया।

        समर्पित भाव से हर रचना आप रचते थे,
दिल पाठक के धड़के, आँखों में आँसू झरते थे,

    जमाना, सरस्वती, मर्यादा, चाँद,
सुधा, पत्रिका में आपने लेख लिखे।

'समाचार', समाचार पत्र  और 'हंस' जैसी,
पत्रिका  के प्रकाशन भी किए।

दहेज प्रथा, विधवा विवाह, लगान, पराधीनता,
छुआ छूत, स्त्री पुरुष समानता और आधुनिकता।

अपने दौर की इन जटिलताओं का चित्रण करके,
देश में  जन-जन को जागरूक किया।

   'कलम के महान सिपाही' मुंशी जी ने,
हिंदी साहित्य की सेवा में योगदान दिया।

देश, काल, समाजिक जटिलताओं को,
      'सदन' में रहकर ही उदगार किया,

निस्वार्थ भाव से मुंशी प्रेमचन्द ने,
तन मन अपना देश पर वार दिया।

        आपकी अदभुत सेवा देश कभी ना भूलेगा,
सदियों इतिहास के पन्नों पर नाम आपका गूँजेगा।

रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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