मुंशी प्रेमचंद

मुंशी प्रेमचंद धनपतराय श्रीवास्तव नाम है जिनका
अनगिनत विधाओं से भरा पड़ा जीवन उनका
उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा
सम्पादकीय, संस्करण, लेख, गुच्छा
भ्रष्टाचार, जमींदारी, कर्जखोरी,
कालखंड की सच्चाई उतारी पन्नों पर।
गरीबी और दैन्यता की लिखकर कहानी,
रची आदर्शोन्मुख यथार्थवाद की परंपरा
बन एक कुशल कर्मठ अध्यापक,
जगत में  मुंशी आप कहलाये।
शतरंज के खिलाड़ी बन गबन से,
कफ़न लेकर निर्मला तक पहुँचे।
गोदान लिखकर साहित्य सम्राट बने,
न सिर्फ हिंदी, उर्दू भी  रच डाला।
प्रेमा के साथ साथ सेवासदन भी,
किसानों की जीवनगाथा प्रेमाश्रम
रंगभूमि से कायाकल्प कर्मभूमि
बूढ़ीकाकी, मन्त्र, ठाकुर का कुआँ,
किया दूध का दाम, तावान, विध्वंस
पंच परमेश्वर, गुल्ली डंडा, दो बैलों
नमक का दरोगा, भाई साहब के साथ
पूस की रात पहुँचे ईदगाह आप
प्रेम प्रतिज्ञा, रंगभूमि, मनोरमा पूरी
पर ये मंगलसूत्र तो रह गया अधूरा
जिसे न कर पाए आप  पूरा

रचनाकार
अंजनी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरुआ,
विकास खण्ड-सरसौल, 
जनपद-कानपुर नगर।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews