पुस्तक दिवस
तुम ही सच्ची मित्र हमारी
तुम ही हो मनमीत।
तुम जिसके संग सदा रहो
उसका जीवन हो उदीप्त।
पन्नों में सपनों की बाती
शब्दों में आशा का दीप।
तुमसे ही मिलती है सीख
जलता है जीवन का प्रदीप।
सुख में साथी, दुख में मीत,
तुम ही हो जीवन संगीत।
निष्ठा, ज्ञान और प्रतिष्ठा
तुम हो तो हों क्यों भयभीत।
तुमसे जुड़कर मानव रचता
नव इतिहास, समृद्ध अतीत।
पुस्तक दिवस पर वंदन तुमको
शब्दों से हो प्रखर पुनीत।
तुमसे जीवित परी कथाएँ
तुमसे ही विज्ञान तकनीक।
आओ सब मिल कर प्रण लें
अपनाएँ पढ़ने की रीत।
ज्ञान-ज्योति फैलाएँ जग में
इसी से लोगे दुनिया जीत।
रचयिता
डॉ0 निशा मौर्या,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मीरजहांपुर,
विकास खण्ड-कौड़िहार-1,
जनपद-प्रयागराज।

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