75/2025, बाल कहानी- 30 अप्रैल
बाल कहानी - पर्यावरण सुरक्षा
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रामपुर गाँव में मोहनलाल अपने परिवार के साथ खेतों में मेहनत करके गुजर-बसर करता था। एक दिन प्रधान जी ने कहा कि, "जो व्यक्ति मनरेगा में काम करना चाहता है, वह अपने नाम रजिस्टर में लिखवा दे। उनको तीन सौ रुपए रोज का मिलेगा।" इस कार्य में अनेक व्यक्ति शामिल हुए और कार्य करने लगे। मोहनलाल भी शामिल हुआ और कार्य करने लगा।
पास में प्राथमिक स्कूल था, उसमें बच्चे पढ़ते थे। एक दिन मैडम जी ने कहा, "बच्चों! सभी को एक-एक पेड़ लगाना है। जहाँ भी जगह मिले, वहाँ पर सभी बच्चों को वृक्ष लगाना है।" सभी बच्चे राजी हो गए और होड़-होड़ में एक की जगह पचपन पेड़ लेकर आये। मैडम ने शर्त रखी कि, "हर पेड़ पर, जो पेड़ लगाएगा, उसी का नाम लिखा जायेगा।" अब क्या था? बच्चे खुश हो गए। वे रोज उसमें पानी और खाद देते तथा रोज उनकी रखवाली करते थे। विद्यालय बन्द होने के बाद पाँच बच्चों की ड्यूटी लगायी थी। रखवाली के लिए, ताकि कोई भी जानवर या बन्दर उनको उखाड़ नहीं पाये, क्योंकि पर्यावरण की सुरक्षा करनी है।
मनरेगा में मोहनलाल को पेड़ लगाने का काम मिला तो उसने कहा कि, "इससे क्या होता है? पेड़ हमको कुछ नहीं देते" और वह काम छोड़कर घर आ गया।" मोहनलाल का बेटा नंदू बहुत ही होशियार था। उसने अपने घर के आँगन में पाँच फल वाले वृक्ष लगा दिये, जामुन, आम, अनार, अमरूद और नींबू के। वह रोज उनको पानी देता और रखवाली करता था। मोहनलाल ने ध्यान नहीं दिया कि पेड़ कब बड़े हो गये! जब उन पर फल आने लगे तो वह चौकन्ना हो गया कि यह पेड़ कहाँ से आये? तब नंदू ने कहा, "पिताजी! यह मैंने लगाये हैं। आप फल बेचकर काफी पैसे कमा सकते हैं।"
मोहनलाल को अपने पर शर्मिन्दगी महसूस हुई। उसने नंदू को गले लगा लिया। अगले दिन वह गाँव के सभी साथियों को लेकर निकल पड़ा और सभी से कहा कि, "हम सबको पाँच-पाँच पेड़ लगाने हैं और उसका हमें कोई भी पैसा नहीं चाहिए, क्योंकि हमें अपने गाँव में पर्यावरण की सुरक्षा करनी है। उसने सबको नंदू की सारी बात बतायी। सभी व्यक्ति बड़े प्रसन्न हुए और जहाँ भी जगह मिलती, वहीं पर पेड़ लगा देते और रात में पहरा देते।
एक-दो महीने में पूरा गाँव हरा-भरा हो गया। एक दिन बड़े अधिकारी महोदय विद्यालय में आये। उन्होंने देखा कि विद्यालय सड़क व गाँव के हर चबूतरे पर इतनी भारी हरियाली है! इसका क्या कारण है? तब प्रधान जी ने कहा कि, "यहाँ पर जन जागरूकता कार्यक्रम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा हेतु पेड़ लगाये थे और उन पेड़ों की सुरक्षा इन बच्चों ने की। इनको देखकर उनके अभिभावकों ने भी इनका सहयोग किया, इसलिए यहाँ हरियाली है। "बाजार में फल बेचो और पैसे भी कमाओ। साथ में ऑक्सीजन की मात्रा भी भरपूर पाओ" यह उनका नारा था।
यह सुनकर उन्होंने सभी को पुरस्कार दिया और कहा कि, "इस जागरूकता रैली में आपका गाँव नंबर वन पर है। इसका श्रेय मैडम जी को जाता है। मैडम जी ने विद्यालय में बच्चों को उचित शिक्षा दी और उन्होंने अपने घर-आँगन और गाँव में पेड़ लगाये साथ ही अपने अभिभावकों को भी जागरूक किया।" विद्यालय के बच्चे पुरस्कार पाकर बहुत खुश हुए। यह देखकर सभी बहुत प्रश्न हुए और जोरदार तालियाँ बजायीं।
#संस्कार_सन्देश -
हमें अपने आस-पास के वातावरण को सुरक्षा प्रदान करनी है। अधिक पेड़ लगाकर जन-जन को जागरूक करना है ताकि पर्यावरण-सुरक्षा बनी रहे।
कहानीकार-
#पुष्पा_शर्मा (शि०मि०)
पी० एस० राजीपुर
अकराबाद, अलीगढ़ (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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