महिला सशक्तीकरण विशेषांक-317
*👩👩👧👧महिला सशक्तीकरण विशेषांक- 317*
*मिशन शिक्षण संवाद परिवार की बहनों की संघर्ष और सफलता की कहानी*
(दिनाँक- 06.04.2025)
नाम:-कामायनी शर्मा
पद:-सहायक अध्यापक (जूनियर )
विद्यालय:- संविलयन वि. औरोताहारपुर
ककवन, कानपुर नगर
सफलता एवं संघर्ष की कहानी-
प्रथम नियुक्ति:- 4/4/2006 में हुई जो गृह जनपद कानपुर से 135 किलोमीटर दूर इटावा था, मैं घर से प्रातः पौने चार की ट्रेन मगध से जाती थी, छः बजे स्कूल पहुँच जाती वहाँ इंग्लिश और गणित पढ़ाती थी, फिर एक बजे की ट्रेन से लौटती थी।
11वें महीने में ट्रांसफर लेकर वापस अपने गृह जनपद कानपुर नगर में आई, और सबसे दूर के ब्लॉक ककवन में नियुक्ति मिली, जाने आने में काफी दिक्कत थी लेकिन जाते थे और अच्छा लगता था वहाँ बच्चों को पढ़ना क्योंकि स्ट्रेंथ बहुत ज्यादा थी,
मेरे बच्चे उसे समय बहुत छोटे थे तो प्रयास करने पर शिवराजपुर ब्लॉक में मेरा ट्रांसफर हो गया, इसके बाद कल्याणपुर ब्लॉक् में मुझे नियुक्ति मिली, जो घर से 25 किलोमीटर दूर था, मैं लगातार नवाचार करती रहती थी, जिससे ग्रामीण परिवेश के बच्चों के अंदर शिक्षा के प्रति रूझान पैदा हो, क्योंकि घर में इनका कोई भी कुछ सीखने वाला नहीं था, प्रयास करते-करते दो बच्चियों ऐसी थी जो कल्याणपुर ब्लॉक में जनरल नॉलेज की परीक्षा में शुरू के 10 बच्चों में स्थान पाई। बच्चों का बेस मजबूत करने के लिए मैंने यह निर्णय लिया कि मैं अब क्लास फर्स्ट से बच्चों को संभालूंगी, मैं क्लास फर्स्ट को लेने लगी थी और उसी समय पर एक दिन bsa सर मेरे स्कूल में अचानक आए, और कक्षा 1 का जो मैं ले रही थी उसका माहौल देखकर बहुत प्रसन्न हुए, एक समारोह में उन्होंने इसका जिक्र भी किया यह कहते हुए कि ऐसा लगा जैसे मैं पब्लिक स्कूल के किसी क्लास में आ गया हूँ।
इसी समय फिर प्रमोशन आ गए जिसमें मैं प्रमोशन लेकर, पुनः सबसे दूर के ब्लॉक ककवन में सबसे ज्यादा बच्चों वाले स्कूल में नियुक्ति ले ली, क्योंकि यह भी मेरी एक तरह से समाज सेवा ही थी, मैंने दूरी की, और हरा ब्लॉक से नॉन HRA ब्लॉक जाने की कोई परवाह नहीं की, मेरे लिए आत्म संतुष्टि सबसे बड़ी चीज थी, अब मेरे बच्चे बड़े भी हो चुके थे।
*वर्तमान नियुक्ति*
जैसे कि बताया मेरी अब नियुक्ति घर से साठ किलोमीटर दूर संविलियन विद्यालय में है, 2017 से है जिसमें जूनियर में 148 बच्चे हैं तथा प्राइमरी में 136 हैं कुल 284 हैं
*प्रारंभिक परिचय*
*विद्यालय की समस्याएं एवं समाधान*
जहाँ समस्या वहाँ समाधान भी होता है, और सुधार धीरे धीरे ही आता है कुछ नवाचारों के माध्यम से बच्चे स्कूल नित्य आते है, बालिकाएं पहले शिक्षा के लिये उत्साहित नहीं थीं, लेकिन अब बालको से अधिक उत्साहित रहती हैं, मीना मंच के द्वारा बहुत सुधार है मैं इस मंच की सुगम कर्ता हूँ।
पहले बच्चे ब्लॉक से कभी बाहर नहीं जाते थे, मैंने बहुत प्रयास किये, और लड़कियों को किदवई नगर कानपुर में आवासीय प्रशिक्षण दिलवाया, मुझे उनके अभिभावक दिनभर फोन करतें थे।
BSA ऑफिस में मेरी छात्रा एक दिन की BSA बन कर समाचार पत्रों की सुर्खियां लेतीं रही, इन सबका प्रभाव ये रहा कि अब बस कहना भर होता है, अभिभावक तैयार रहते हैं, और आठवीं के बाद शत प्रतिशत बच्चे आगे की पढ़ाई के लिए स्कूल नियमित जाते हैं।
*स्वयं के जीवन के संघर्ष एवं सफलताये:-*
जीवन में काफ़ी संघर्ष आते रहते हैं, लेकिन संघर्ष से ही हर्ष मिलता है,
मेरी ससुराल में बहुत रोक टोक थीं, पति बहुत बीमार रहते थे, पहली नियुक्ति घर से दूर, दूसरे जिले इटावा में हुई, तब बच्चे भी बहुत छोटे थे, लेकिन मैं सब मैनेज़ करती रही, अक्सर घर में बच्चे अकेले होते थे, इनलोज थे पर वो अपनी मर्जी से आते जाते थे, उसका उपाय किया, अब मेरी बेटी पीएचडी कर रही है IIT से, उसे JRF मिलता है।
बेटा B-Tec कर रहा है VIT वेल्लोर से, पति भी पूरा सहयोग करते है, ससुर जी नहीं हैं, सासुजी डिमेंशिया की मरीज हो गई हैं, लेकिन वो हमारे ही पास रहती हैं, यहीं उन्हें अच्छा लगता हैं, न बेटी के पास जाती हैं न बड़े बेटे के पासl
*कार्य क्षेत्र की उपलब्धियाँ:-*
मेरा विद्यालय पी एम श्री विद्यालय घोषित हो चुका है, मैं जब आई थी तो यहाँ पर बिल्कुल भी कोई पेड़ पौधे नहीं थे, बहुत प्रयास किये अब प्रांगण हरा भरा हो गया है, मैंने यहाँ सहजन का पौधा लगाया जो दो वर्ष से फलफूल रहा है, और उसका लाभ भी ले रहें हैं।
बच्चे अनेक प्रतियोगिता जैसे क्विज, योग, कहानी लिखो, स्लोगन लिखो प्रतियोगिता आदि जीत रहें हैं, सबसे बड़ी बात उनमें नैतिकता का विकास हो रहा है, मेरी एक छात्रा जो 12 वीं में है, मुझे पत्र दिया जो मुझे भावुक कर गया, उसने उल्लेखित किया कि उसने मुझसे क्या-क्या सीखा है, वास्तव में प्रतियोगिताएं जीतने से बेहतर होता है कि हम जीवन का पाठ सीखते चले जिससे आगे आने वाली किसी भी कठिनाई का सामना आराम से धैर्य के साथ कर सकें।
पिछले स्कूल की दो छात्राओं की मैंने सहायता की, मार्गदर्शन किया तो वह इस समय आगरा की दयालबाग यूनिवर्सिटी में पढ़ रही हैं।
*स्वयं की उपलब्धि:-*
●मेरे छात्रों की उपलब्धि, मेरे बच्चों की उपलब्धि, यही मेरी उपलब्धि है,
वैसे मैं एक लेखिका हूँ कवयित्री हूँ, मेरे लघु कथा संग्रह *कोलाहल के परे* और काव्य संग्रह *कुछ सुना अनसुना सा* प्रकाशित हो चुके हैं, और प्रशंसा प्राप्त हैं।
●इसके अलावा मेरा शोध प्रबंध *सुभद्रा कुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प* प्रकाशित हैं, अनेक साझा काव्य संग्रह, लघुकथा संग्रह प्रकाशित हैं।
●मैं 2009 में दूरदर्शन के गेम शो *व्हील स्मार्ट श्रीमती* की *नेशनल विनर* हूँ।
●अनेक सामाजिक संस्थाएं मुझे सम्मानित करती रहती हैं।
●समाचार पत्र भी मेरे विषय में साक्षात्कार ले कर प्रकाशित करतें रहते हैं।
● आकाशवाणी पर मेरे लिखी कविताएं वार्ताएं प्रसारित होती रही है।
● अनेक बार इंटरनेशनल सेमिनार में भाग ले चुकी हूँ।
● यूनिवर्सिटी की स्मारिका में संपादक मंडल में रही हूँ।
*मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश*
मिशन शिक्षण संवाद की जितनी प्रशंसा की जाए इससे जुड़े व्यक्तियों की जितने भी प्रशंसा की जाए वह कम है।
ईश्वर से प्रार्थना है कि यह इसी तरह से अपने कार्य को आगे बढ़ाते रहें और लोग और भी अधिक जुड़कर लाभ ले सकें, मैंने इससे और इससे जुड़े व्यक्तियों से बहुत कुछ सीखा है, मैं इसमें रूचि त्रिवेदी जी के माध्यम से जुड़ी थी,जो बहुत ही कर्मठ अध्यापिका है, और बाद में मैंने देखा कि इससे जुड़े प्रत्येक अध्यापक बहुत ही कर्मठ और लगनशील हैं।
बहुत बहुत शुभकामनायें
_✏संकलन_
ज्योति कुमारी
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद*
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