64/2025, बाल कहानी- 16 अप्रैल


बाल कहानी - समझदारी का पाठ

रामू की बकरी बहुत प्यारी और नादान थी। एक दिन वह सड़क पार करके जंगल की तरफ चली गयी। वहाँ उसने मटर की फसल देखी और खाने लगी। देखते ही देखते उसने बहुत सारी मटर खाली, लेकिन थोड़ी ही देर में खेत का मालिक आ गया और उसने बकरी को पकड़कर मारा और भगा दिया। बकरी में..में..में..करती रोती हुई अपने गाँव की ओर चल पड़ी। रास्ते में बन्दर मिला। उसने पूछा, "बकरी! क्यों रो रही हो?" बकरी ने कहा, "मुझे खेत के मालिक ने मारा और बन्दर खो..खो करके उसके साथ चल दिया। फिर उसे कुत्ता मिला। कुत्ते ने पूछा, "बकरी! क्यों रो रही हो? बकरी ने कहा, "मुझे खेत के मालिक ने मारा। कुत्ता भी उसके पीछे चल दिया। थोड़ा और आगे चली। उसे बिल्ली मिली। बिल्ली ने पूछा, "बकरी क्यों रो रही हो?" बकरी ने कहा, "मुझे खेत के मालिक ने मारा। बिल्ली भी म्यांऊँ..म्यांऊँ करती हुई उसके पीछे चल दी। थोड़ा आगे उसे गाय मिली। गाय ने पूछा, "बकरी! क्यों रो रही हो?" बकरी ने कहा, "मुझे खेत के मालिक ने मारा। गाय भी रंभाती हुई उसके पीछे चल दी। इसी तरह खरगोश, मोर, हिरण, घोड़ा और भैंस सभी बकरी के पीछे चल दिए। यह सभी रास्ते में चल रहे थे। तब इनको लोमड़ी मिल गई। वह इन्हें शेर के पास ले गयी। यह कहकर कि, "वह आपकी मदद करेंगे।" सभी शेर के पास पहुँचे। शेर इन सबको देखकर बहुत खुश हो गया और लोमड़ी को शाबाशी दी कि, "आज तुमने मेरा दिल खुश कर दिया।" इन सबको अन्दर गुफा में बन्द कर दो।" शेर की बातें वह छुपा हुआ खरगोश सुन रहा था। उसने तुरन्त ही इन सबको धीरे से बताया कि, "तुम्हारी जान को खतरा है।" इतना सुनकर सभी भागने लगे और लोमड़ी को बुरा-भला कहने लगे। सभी जानवर आगे और पीछे शेर भाग रहा था। किसी प्रकार से उन्होंने अपनी जान बचाई और हार-थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गए। उनको बैठा देखकर तोता हँसने लगा और बोला कि, "लौटकर बुद्धू घर को आये।" यह कहावत आज सिद्ध हो गई। उन्होंने तोता से कहा, "ऐसा क्यों कह रहे हो भाई?" तब तोता ने कहा, "जब बकरी की पिटाई हो रही थी। मैं वहीं पर था और बकरी ने खेत के मालिक का नुकसान कर दिया था। इसलिए बकरी की पिटाई हुई, लेकिन बकरी का रोना तो आप सभी को दिखाई दिया। आपने यह नहीं पूछा कि, "तुम्हें खेत मालिक ने क्यों मारा? बकरी के आँसू देखकर तुम सब उसके पीछे चल दिए।" अब सभी की बात समझ में आ गई कि बिना कारण जाने किसी की भी मदद नहीं करनी चाहिए।

#संस्कार_सन्देश -
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि हमें बिना सोचे-समझे किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए। 

कहानीकार -
#पुष्पा_शर्मा (शि०मि०)
पी० एस० राजीपुर, अकराबाद
अलीगढ़ (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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