नवरात्र में बेटियाँ खोजा करते हो

 जैसे नौ दिन नवरात्र में 

बेटियाँ खोजा करते हो।

रोली टीका लगा के मुझको

चरणों को भी धरते हो।

आज मेरा सवाल है सबसे

क्या जवाब दे सकते हो??

सिर्फ नौ दिन ही क्यों?

हर दिन क्यों नहीं??

नव दिन की पूजा से बेहतर

मुझे आकाश दे सकते हो?

मैं भी उड़ान भरूँ सपनों की

बस, ये हक क्या दे सकते हो??

मैं तो वह देवी हूँ जिसके आगे

तुम नव दिन झुकते हो।

हर साल नवरात्र में क्या 

केवल अभिनय करते हो?

नहीं! तो मेरे अधिकारों पर

क्यों प्रश्नचिन्ह जड़ते हो?

नव दिन दुर्गा रूप समझ 

हमको सिंहासन देते हो।

पर जीवित बेटी को क्यों

बोझ समझ कर सहते हो?

कभी तो बन हैवान तुम्हीं

सड़कों पर मुझको डसते हो।

मैं ही तो हूँ साइना नेहवाल 

मैं ही लक्ष्मीबाई हूँ।

द्रौपदी मुर्मू, सुनीता विलियम्स 

क्या हर घर में गढ़ सकते हो?

जीने दो नौ माह गर्भ में

क्यों तुम मुझे कुचलते हो?

करते हो जब दहेज हत्या

कुदरत से न डरते हो?

फिर क्यों नवरात्र में

बेटियाँ खोजा करते हो?


रचयिता
डॉ0 निशा मौर्या, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मीरजहांपुर,
विकास खण्ड-कौड़िहार-1,
जनपद-प्रयागराज।

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