आओ स्कूल चलें हम
हो गईं छुट्टियाँ खत्म
लेकर बस्ता आओ
स्कूल चलें हम
घूमें खूब दादी नानी घर
मचाया धमाल खूब जी
भरकर
मिला प्यार उनका बेशुमार
चाहता है मन
रुकना उनके पास
लेकिन अब छुट्टियाँ
हो गईं खत्म
लेकर बस्ता आओ
स्कूल चलें हम।।
पढ़ना लिखना भी है जरूरी।
मिले तभी सफलता
की अगली सीढ़ी
अनपढ़ रहना है
अभिशाप नहीं बनना हमें
अँगूठा छाप
यह बात अब जान लें हम
लेकर बस्ता आओ
स्कूल चलें हम।।
स्कूल जाएँगे हम रोजाना
नहीं करेंगे कोई बहाना
गुरुजन हमें जो सिखाएँगे
वह घर जाकर दोहराएँगे
अपनी मनमानी करेंगे कम
लेकर बस्ता आओ
स्कूल चलें हम।।
रचयिता
अर्चना शर्मा,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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