गुरु जी
हर कठिन घड़ी में धीर बँधाया,
न हो निराश ये समझाया।
हुई आँख नम जब मेरी कभी,
न नीर बहाओ ये समझाया।
भक्ति भाव मुझमें जगाया,
प्रकृति का सुंदर रूप दिखाया।
भूल के सारी व्यथा हृदय की,
सहज भाव में रहना सिखाया,
सच कहना सुनना तुमसे सीखा,
हद में रहना तुमसे ही सीखा।
दुखों के भव सागर से,
पार उतरना तुमसे सीखा।
आशा और विश्वास आपसे,
है बस इतनी अरदास आपसे।
हो जाए यदि कोई भूल कभी,
बदल न लेना आप रास्ते।
जीवन की भूल भुलैया में,
राह सही हमको दिखलाना।
करूँ कभी जो कोई नादानी,
हमको उस पल आँख दिखाना।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
Comments
Post a Comment