129/2024, बाल कहानी- 29 जुलाई


बाल कहानी- जंगल में मंगल
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जंगल में एक तेंदुआ रहता था। वह बहुत ही शक्तिशाली और बहुत हृष्ट-पुष्ट था। उसे अपने बल पर बहुत ही घमण्ड था। यहाँ तक कि जंगल के अन्य जानवरों से वह सीधे मुँह बात भी नहीं करता था। 
एक दिन जंगल के राजा के लिए आपस में झगड़ा होने लगा और सब लोग अपने-आप को बेहतर साबित करने में लगे हुए थे। तभी उस तेंदुए ने सबको धक्का देते हुए कहा-, "देखें तो, मुझसे बल शाली कौन है? अगर किसी में हिम्मत हो, तो मेरे सामने आए।" किसी की हिम्मत उसका सामना करने की नहीं पड़ी। अन्त में उसे ही जंगल का राजा घोषित कर दिया गया।
उस तेंदुए को पहले भी बहुत घमण्ड था। अब राजा बनने के बाद तो उसके पैर जमीन पर ही नहीं पड़ते थे। अब वह किसी को भी अपने पास फटकने ही नहीं देता था। वह कहता था कि-, "मुझे किसी की भी जरूरत नहीं है। तुम सबको ही मेरी जरूरत पड़ेगी, लेकिन समय पर कभी भी किसी की भी मदद नहीं करता था।
एक बार एक भालू उसके पास जाता है-, " राजा साहब.. राजा साहब! मुझे आपसे बहुत जरूरी काम है। क्या आप मेरी मदद करेंगे?" भालू ने इतना ही कहा था कि उस तेंदुए ने उसकी बात सुने बिना ही उसे वहाँ से भगा दिया और बोला-, "तुम थोड़ी देर में आना। अभी मैं आराम कर रहा हूँ।"
इसी तरह जब भी कोई उसके पास कोई फरियाद ले करके आता, वह उसे भगा देता। अब सबने उसके पास आना और उससे बात करना छोड़ दिया। एक दिन वह तेंदुआ बहुत बीमार हो गया। वह उठ-बैठ भी नहीं पा रहा था। इस तरह कई दिन बीत जाने से वह बहुत कमजोर हो गया। भूख से तरस रहा था, उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला। 
उसी समय एक खरगोश वहाँ से गुजरा और तेंदुए को तड़फते हुए देखा तो सबको बुला लाया। साथ ही सबने मिलकर उसके खाने और स्वस्थ होने के हर सम्भव प्रयास किए। 
 कुछ ही दिनों में वह तेंदुआ एकदम स्वस्थ हो गया। तब जाकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। तब उसने सभी से माफी माँगी। अन्त में सभी लोग खुशी-खुशी जंगल में रहने लगे। सच! जंगल में मंगल हो गया।

संस्कार सन्देश-
हमें अपने बल पर घमण्ड न करके शक्तिशाली होने के नाते सबकी मदद करनी चाहिए।

लेखिका- 
अंजनी अग्रवाल (स०अ०) 
उच्च प्रा० वि० सेमरुआ 
सरसौल (कानपुर नगर)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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