127/2024, बाल कहानी- 26 जुलाई


बाल कहानी- सच्चा दोस्त
------------------
 
मोनू और सोनू सच्चे एवं घनिष्ठ मित्र थे। एक साथ खेलते, पढ़ने जाते और सुख-दुख में साथ निभाते थे। 
एक दिन मोनू के पिताजी बीमार पड़ गये। उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गयी। पास के अस्पताल में उनको भर्ती कराया गया। सोनू और मोनू उनकी देखभाल करते थे। पिताजी कमाने वाले थे। मोनू के पास अब दवाइयों के लिए पैसे न रहे। मोनू की माताजी ने अपने रिश्तेदारों से मदद माँगी लेकिन किसी ने भी सहायता नहीं की। सोनू को उसके घर का हाल पता था। उसने अपने पिताजी से कहा और उन्होंने कुछ धनराशि दे दी। पिताजी स्वस्थ हुए और घर आये। 
कुछ दिनों बाद सोनू और मोनू ने पढ़ाई के साथ कुछ काम करने की सोची, लेकिन छोटे बच्चों को किसी ने काम नहीं दिया। मोनू अन्दर ही अन्दर परेशान था कि सोनू के पैसे देने हैं। सोनू ने कहा-, "पिताजी पर जो खर्चा हुआ है, वह मेरे पिताजी ने दिया है। तुम्हें चिन्ता करने की कोई बात नहीं है।" फिर भी मोनू ने अपने मन में सोचा- क्यों न कोई काम कर लिया जाये। सोनू से सलाह करके उसने चाट-पकौड़ी का ठेला लगा लिया। पढ़ाई के बाद वह शाम को अपना थैला लेकर गली के कोने पर खड़े हो जाते थे। देखते ही देखते उनकी चाट-पकौड़ी सभी खाने लगे क्योंकि चाट-पकौड़ी मन से बनाकर देता था। मोनू की आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही थी। पिताजी स्वस्थ हुए। उन्होंने कहा-, "मैं काम पर जाता हूँ।" 
एक दिन उन्होंने देखा कि बच्चे ठेला लगा रहे हैं। उनको बड़ा दुःख हुआ, क्योंकि उनको बिना बताये वह यह सब कर रहे थे। दोनों की हिम्मत और मित्रता की उन्होंने तारीफ की और उनको विश्वास हो गया कि यह बच्चे मेरे जाने के बाद अपना जीवन यापन कर लेंगे। फिर क्या था? पिताजी भी उन्हीं के साथ ठेला लगाने लगे और मिल-जुल कर कार्य करने लगे। सोनू के पिताजी के पैसे भी चुका दिए और कहा कि-, "इन बच्चों की गहरी मित्रता कभी कम न होगी। यह बच्चे अपनी स्थिति के अनुसार कार्य कर सकते हैं।" सोनू-मोनू की मित्रता को देखकर गाँव के लोग भी प्रसन्न थे और सभी ने उन्हें शाबाशी दी और कहा कि सबसे पहले पढ़ना बहुत जरूरी है। हाँ! स्कूल के बाद पिताजी का सहयोग कर सकते हो।" दोनों मित्र अब स्कूल जाते और फिर खा-पीकर पिताजी का सहयोग करते और रात में पढ़ाई करते।

संस्कार सन्देश-
हमें कठिन परिस्थिति में कभी निराश नहीं होना चाहिए। सच्ची मित्रता वही होती है, जो एक दूसरे के काम आती है।
लेखिका-
पुष्पा शर्मा (शि०मि०)
राजीपुर, अकबराबाद, अलीगढ़ (उ०प्र०)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- भदौरिया (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

Comments

Total Pageviews