120/2024, बाल कहानी - 18 जुलाई


बाल कहानी- कर्तव्य निष्ठा
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रतनलाल का परिवार एक छोटे से गाँव में रहता था। परिवार में उसकी पत्नी रमा, दो बेटियाँ और एक बेटा था। रतनलाल को शराब पीने की बुरी आदत थी। जिसके कारण वह मजदूरी करके जो कुछ भी कमाता, सब कुछ शराब पीने में गवा देता था। रमा उसे शराब पीने के लिए मना करती, पर रतनलाल उसकी एक भी बात न सुनता था। उसके घर की स्थिति बेहद ही दयनीय थी। वह अक्सर शराब पीकर अपनी पत्नी व बच्चों को भी मारता था। उसकी पत्नी जब बच्चों को स्कूल भेजने व पढ़ाई करने को कहती, तब रतनलाल बीच में ही रोक देता और कहता कि-, "पढ़ाई-लिखाई में क्या रखा है? लड़कियों को घर के काम करने दो और लड़के को बकरियाँ चराने का काम करने दो।" 
रतनलाल की यह बातें सुनकर रमा चुप हो जाती। रमा हमेशा अपने भाग्य को कोसती और रोती रहती। रतनलाल का लड़का दिन-भर बकरियाँ चराता और गाँव में आवारा बना घूमता। लड़कियाँ भी घर के काम करतीं, परन्तु कोई भी बच्चा विद्यालय न जाता था। गाँव में एक सरकारी विद्यालय था। वहाँ के मास्टर साहब जब भी रतनलाल से मिलते, वह उसके बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए कहते, पर हमेशा यह कहकर छिड़क देता, कि-, "पढ़ाई लिखाई में क्या रखा है? गरीबों के बच्चे को मजदूरी ही करनी है।" वह मास्टर साहब की एक भी बात न सुनता।
मास्टर साहब भी असहाय से अपनी राह हो लेते। शराब पीने के कारण रतनलाल की तबीयत एक दिन ज्यादा खराब हो गयी। वह गाँव के लोगों से पहले ही काफी क़र्ज़ ले चुका था, इसीलिए उसकी मदद के लिए अब कोई भी आगे न आया। यह बात जब स्कूल के मास्टर साहब को पता चली, तब वह रतनलाल के घर गये और उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया, जहाँ उसका इलाज हो सका। मास्टर साहब ने उसे सरकारी आयुष्मान योजना के बारे में भी बताया। जिससे उसे आगे कोई भी दिक्कत न हो। मास्टर साहब ने और भी गरीब कल्याण योजनाओं के बारे में रतनलाल को समझाया एवं शराब पीने के दुष्परिणामों के बारे में भी आगाह किया। 
रतनलाल को अब पढ़ाई का महत्व समझ में आ रहा था। जैसे ही वह ठीक होकर घर आया, सबसे पहले उसने अपने तीनों बच्चों को विद्यालय भेजने का निश्चय किया। अब रतन लाल की दोनों बेटियाँ और बेटा प्रतिदिन विद्यालय जाने लगे। 

संस्कार सन्देश- 
अपना काम पूरी कर्तव्य निष्ठा से जब हम करते हैं, तब हमें सफलता जरूर मिलती है।

लेखिका-
रचना तिवारी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा ब्लॉक- बबीना (झाँसी) उ०प्र०
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन-
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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