126/2024, बाल कहानी - 25 जुलाई


बाल कहानी- छाता 
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चिंटू और मिंटू बाजार से सब्जी खरीद रहे थे। अचानक बारिश होने लगी।
चिंटू मौसम को देखते हुए घर से छाता लेकर आया था। उसने जल्दी से साइकिल में सब्जी टाँगी और छाता खोलकर लगा लिया।
एक किनारे वे दोनों खड़े हो गये। पानी रुकने का इन्तजार करने लगे। तभी मिंटू बोला-, "भाई! बहुत देर से बारिश हो रही है। रुकने का नाम नहीं ले रही है। आप ऐसा करो, घर चलो! माँ हमारा इन्तज़ार कर रही होगी।
माँ को खाना भी बनाना है। सब्जी लेकर जल्दी चलो।"
चिंटू ने कहा-, "हम दोनों भींग जायेंगे।"
मिंटू बोला-, "भाई! आप साइकिल चलाओ, मैं पीछे बैठकर छाता लगा लूँगा। इससे हम दोनों नही भींगेगे।"
दोनों घर की तरफ चले। चिंटू साइकिल चला रहा था। मिंटू छाता पकड़े था। अचानक तेज़ हवा चली। मिंटू से छाता छूटकर दूर जा गिरा। सामने से ट्रक आ रही था। छाता ट्रक के पहिए के नीचे आकर चकनाचूर हो गया।
"अरे! ये क्या हो गया? भाई नया छाता टूट गया। माँ अब बहुत गुस्सा होगी। सब तेरी वजह से हुआ है। मैं तो अब घर नहीं जाऊँगा। देखो, अब बारिश भी रुक गयी। अच्छा खासा एक किनारे पर हम लोग खड़े थे, पर मिंटू! तूने ही जल्दी-जल्दी कह कर नुकसान करा दिया। अब क्या जवाब देगे माँ को? तू ही घर जा, मैं यहीं रहूँगा। मैं भी नहीं जाऊँगा। माँ डाटेगी।"
इधर चिंटू-मिंटू की माँ बच्चों के घर न आने से परेशान हो उठी। 
"इतनी देर हो गयी। सुबह से शाम हो गयी। ये दोनों बच्चे अभी नहीं आये। चिंटू-मिंटू के पिताजी! आप जाकर पता लगायें। ये दोनों कहाँ है?
"अच्छा, मैं बाहर जाकर देखता हूँ। तुम इतना परेशान न हो। बच्चे है, कहीं खेल-कूद रहे होंगे।"
बाजार पहुँच कर इधर-उधर ढूँढने और लोगों से जानकारी लेने पर पता चला कि चिंटू-मिंटू एक दुकान के पीछे बैठे हुए हैं।
चिंटू-मिंटू ने अचानक पिताजी को देखा और पास आकर सारी बात बता दी। पिता जी ने बच्चों को समझाया कि-, "ये बात तुम दोनों समय से घर पहुँचकर भी बता सकते थे। तुम दोनों यहाँ हो। माँ तुम्हारी बहुत परेशान है। तुम दोनों घर नहीं पहुँचे, इसलिए।"
चिंटू-मिंटू ने माफी माँगी और पिताजी के साथ घर की ओर चल दिए।
घर पहुँचते ही माँ ने गले से लगा लिया। पूरी बात सुनकर समझाया कि-, "अगर कभी कोई बात या अनहोनी हो जाए तो सबसे पहले घर आना चाहिए।"
चिंटू-मिंटू ने माँ से भी माफ़ी माँगी और भविष्य में ऐसी हरकत न करने का वादा किया।

संस्कार सन्देश- 
हमें बिना झिझक हर बात अपने माता-पिता से साझा करना चाहिए।

लेखिका-
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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