111/2024, बाल कहानी -06 जुलाई


बाल कहानी- सच्ची मित्रता
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रोहन एक कोने में गुमसुम और खोया सा खङा था। उसके दोस्त मनीष ने उसे झिंझोड़ते हुए पूछा-, "क्या बात है मित्र? तू इतना उदास क्यूँ रहने लगा है?" बहुत पूछने पर उसने बताया कि-, "उसके घर के हालात ठीक नहीं हैं। माँ लोगों के घरों में झाङू-पोंछा और बर्तन का काम करती है और पिताजी राजगीर हैं यानी घर बनाने का काम करते हैं, पर घर में समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। पिताजी शराब बहुत पीते हैं और उसकी माँ को तथा भाई-बहनों और उसको बहुत मारते पीटते हैं। माँ से तो पैसे भी छीन लेते हैं। कोई समझाता है तो उससे लङाई-झगङा करते हैं।"
यह सब सुनकर मनीष ने रोहन के घर के हालात को सुधारने की तरकीब सोची। अपने टीचर से सलाह लेकर बच्चों ने गाँव में नशा-मुक्ति रैली निकाली। इस रैली में गाँव के प्रधान ने भी बङा सहयोग दिया। रैली गाँव की हर गली में नारे लगाते हुए निकली।बच्चे चल रहे थे और बोल रहे थे-
नशे को जो करे स्वीकार।
उसका कर दो बहिष्कार।।
शराब का सेवन जो करता भाई।
उसकी होती जग हँसाई।। नशा नास की नसेनी है। गलत संगति उसकी भगिनी है।।
गाँव के अधिकतर घरों की महिलाएँ और बच्चे भी इस रैली में शामिल हो गये। बच्चों ने गाँव में कई जगह नशे के विरुद्ध छोटी-छोटी नाटिका भी प्रस्तुत की, जिसमें एक नाटिका में बच्चों ने रोहन के घर के हालात जैसी नाटिका भी प्रस्तुत की, जिसे देखकर गाँव के सब लोग हँस रहे थे। नाटिका रोहन के पिताजी ने भी देखी। उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। घर आकर उन्होंने रोहन की माँ से माफ़ी माँगी और परिवार के हालात सुधारने की कसम खायी।

संस्कार सन्देश-
एक अच्छे मित्र के प्रयासों से बङी से बङी समस्या का समाधान निकल आता है।

लेखिका-
सरिता तिवारी (स०अ०)
कम्पोजिट विद्यालय कन्दैला 
मसौधा (अयोध्या)

कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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