५५०~ अनमोल रत्न डा० अनिशा सिंह (प्र०अ०) प्रा०वि० दादूपुर, सरोजनीनगर, लखनऊ
🏅 #अनमोल_रत्न 🏅
👉1- शिक्षक का परिचय :-डा० अनिशा सिंह (प्र०अ०)
प्रा०वि० दादूपुर, सरोजनीनगर, लखनऊ
प्रथम नियुक्ति ~ 10- 01- 2006
वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति : 27/07/2013
👉2- विद्यालय को उत्कृष्ट बनाने के प्रयास
A- स्वयं के प्रयास :
वर्तमान विद्यालय में जब मेरी नियुक्ति हुई तथा छात्र संख्या मात्र 74 थी उपस्थिति प्रतिशत भी बहुत कम था जब हमने एक प्रधान अध्यापक के रूप में इस विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया तो मुझे यह महसूस हुआ कि हमारे आस-पास का समुदाय विद्यालय क्रियाकलाप में रुचि नहीं लेता है उसका विद्यालय से कोई लगाव नहीं है और सरकारी प्राइमरी स्कूल के बारे में उनकी धारणा भी अच्छी नहीं है हमारे विद्यालय में भी वहीं बच्चे आते हैं जिनके अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं जमा कर पाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सर्वप्रथम ग्राम प्रधान तथा एसएमसी के सदस्यों के द्वारा बातचीत शुरू किया, समय लगा समुदाय के अंदर यह विश्वास पैदा करने में कि यह केवल सरकारी प्राइमरी स्कूल नहीं है यहाँ भी संस्कार पैदा होते हैं। विद्यालय से जोड़ने के लिए अभिभावकों को एसएमसी सदस्यों को ग्राम प्रधान को बार-बार यह बताने की कोशिश की कि यह केवल सरकारी सार्वजनिक स्थान नहीं है वरन वह जगह है जहाँ से आप सभी ने शिक्षा ग्रहण की और अब आपके बच्चे आएंगे और आने वाले समय में आपकी आने वाली पीढ़ियाँ यहाँ आएंगी, कितना महत्वपूर्ण है यह जगह हम आप नहीं होंगे लेकिन यह विद्यालय होगा। इसलिए एक सजग नागरिक होने के नाते हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम विद्यालय की समस्याओं के प्रति जागरूक रहें और अपनी क्षमता अनुसार विद्यालय को सहयोग करें। यदि हम विद्यालय के प्रति जागरूक रहेंगे विद्यालय की समस्या हमारी समस्या होगी तो हमारा विद्यालय से जुड़ाव होगा। अभिभावकों से बातचीत के दौरान मैंने पाया कि उन्हें बच्चों को चटाई पर बैठा ना अच्छा नहीं लगता, भले ही प्राइवेट स्कूल में कम प्रशिक्षित अध्यापक होते हैं लेकिन वहाँ के भौतिक संसाधन उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते हैं। तभी मैंने अपने मन में संकल्प किया कि मैं स्कूल में फर्नीचर की व्यवस्था करूंगी। इस संकल्प के क्रियान्वयन में मैंने ग्राम प्रधान और समुदाय के साथ मिलकर सार्वजनिक मंच के माध्यम से लोगों से गुहार लगाई कि आप लोग एक- एक पटरा दिजिए। उससे फर्नीचर की व्यवस्था हम करेंगे।हमारे विद्यालय के एक कमरे के फर्नीचर की व्यवस्था हो गई। इससे मेरा उत्साह दुगना हो गया। इसी क्रम में मैंने अपने घर के आसपास रहने वाले लोगों को विद्यालय से जोड़ने की शुरुआत करें। हमारे पड़ोसियों ने मुझे बताया कि हमारी सरकारी विद्यालय के प्रति धारण अच्छी नहीं थी परंतु आपको देखकर हमारी धारणा बदली है। मैंने उन्हें मोटिवेट किया जिस समाज में हम रहते हैं उसके प्रति भी हमारे कुछ उत्तर दायित्व होते हैं अगर ईश्वर ने हमें सक्षम बनाया है तो हम समाज को कुछ दे सके तो सामाजिक कार्य अवश्य करें। परिणाम स्वरूप हमारे घर के आस-पास के लोगों ने मिलकर 15 नवंबर 2015 को सभी बच्चों को स्वेटर मुझे कलर पेंसिल और चॉकलेट दिए। इस दिवस को मैंने एक समारोह के रूप में आयोजित किया ग्राम प्रधान और अभिभावकों को भी बुलाया। इसका असर यह हुआ कि गांव वालों को लगा कि यदि बाहर का व्यक्ति हमारे बच्चों के बारे में सोच सकता है तो हमें भी अपनी क्षमता अनुसार सहयोग देना चाहिए।
इसी क्रम में आगे मैंने 26 जनवरी 2015 को वरिष्ठ नागरिक सम्मान दिवस के रूप में विद्यालय में मनाया इसके लिए ग्राम प्रधान की सहायता से वोटर लिस्ट में गांव की सबसे वरिष्ठ महिला का चुनाव किया गया तथा उन्हें विद्यालय की ओर से शॉल फल और किताबें देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल इतना था कि स्कूल के बच्चों के अंदर अपने बड़ों के प्रति सम्मान और महिलाओं का सम्मान करने की भावना का विकास हो। साथ ही समुदाय के लोगों को विद्यालय में सम्मान पाते हुए देख कर अभिभावकों को बहुत खुशी होगी। इससे विद्यालय से उनका जुड़ाव और बढ़ेगा।
आगे जो भी व्यक्ति इस विद्यालय में पढ़े हुए हैं और आज किसी न किसी बड़े पद पर हैं उन्हें विद्यालय में सम्मानित करना, जिससे बच्चों के मन में भी विद्यालय के प्रति आस्था उत्पन्न हो और वह भी पढ़ लिखकर किसी अच्छे पद पर पहुंच सकें।
वर्तमान समय में विद्यालय की छात्र संख्या 136 उपस्थिति 85% के ऊपर तथा सभी बच्चों के लिए फर्नीचर की व्यवस्था है। स्वयं के प्रयास से कई संस्थाओं को जोड़कर विद्यालय में स्मार्ट बोर्ड, साफ पानी की व्यवस्था, तथा सभी अध्यापकों के लिए एक अलमारी कुर्सी टेबल सभी कक्षा कक्ष में व्यवस्थित है। मेरा मन राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत है इसी कारण स्वयं के प्रभाव एवं प्रयास से विद्यालय में एक अमर सहित स्मृति वाटिका का विकास किया है जहाँ पर प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर झंडारोहण होता है इसका उद्देश्य भी है बच्चों एवं अभिभावकों के अंदर राष्ट्रभक्ति की भावना को भरना है।
एक नवाचार विद्यालय में और किया है, कि प्रति नामांकन पर यदि अभिभावक की इच्छा हो, तो वह विद्यालय को अपने बच्चे के नाम पर एक गमला पौधे सहित दान करें। बच्चा प्रतिदिन उस गमले की देखभाल करें। इस तरह से विद्यालय में ढेर सारे गमले भी हो गए हैं।
एक अध्यापक के रूप में हमें लगता है कि हमें कभी एक ही ढर्रे में शिक्षण नहीं करना चाहिए टीचिंग हमेशा ग्रोथ माइंडसेट से करनी चाहिए क्लास के अंदर हमारी पूरी कोशिश रहती है कि बच्चा जो सीख रहा हो उसे वह खुद कर भी रहा हो जैसे क्लास 5 के बच्चों को छाया पढ़ाने के लिए बच्चे समान लंबाई की अपनी अपनी छड़ी मैदान में खड़ी कर छाया की लंबाई तथा उसकी दिशा का अवलोकन करते हैं इससे वह बेहतर सीखते हैं इस प्रकार और छोटे-छोटे माइक्रो इनोवेशन के द्वारा बच्चों के अंदर रोज स्कूल आने की आदत सफाई तथा स्वच्छता की आदत, अनुशासन तथा अन्य नैतिक गुणों का विकास करने की कोशिश रहती है जैसे जो बच्चा एक माह में सभी शिक्षक दिवस पर स्कूल आया है उसे प्रार्थना सभा में प्रशंसा तथा स्माइली बैच देकर प्रोत्साहित किया जाता है।
B- अन्य शिक्षकों का सहयोग :
हमारा पूरा विद्यालय परिवार एक दूसरे की भावना का सहयोग करता है और विद्यालय विकास में सकारात्मक सहयोग करता है।
C- जनप्रतिनिधि द्वारा सहयोग :
ग्राम प्रधान गांव के वरिष्ठ नागरिक तथा क्षेत्र की जनप्रतिनिधियों का समय- समय पर विद्यालय को सहयोग मिलता रहा है।
D- शासन द्वारा सहयोग :
समय-समय पर शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय का भ्रमण कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षण के लिए एवं विद्यालय की भौतिक प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया।
👉3- किए गए प्रयास का परिणाम :-
छात्र संख्या 74 से 136 तथा विद्या ज्ञान परीक्षा में एक बच्चे का चयन
👉4- विद्यार्थियों की उपलब्धियाँ :-
खेलकूद में प्रत्येक साल बच्चों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है हर साल बच्चों ने जिला स्तर तथा मंडल स्तर तक खेला है।
👉5- विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियाँ :- शिक्षकों द्वारा यहाँ गतिविधि आधारित शिक्षण तथा नवाचारों का प्रयोग किया जाता है। मैं स्वयं ICT का प्रयोग कर शिक्षण कार्य करती हूँ साथ ही दूसरे शिक्षकों के विषय में इसके प्रयोग में सहायता भी करती हूँ सांस्कृतिक, सामाजिक एवं खेलकूद की गतिविधियों का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
👉6- शिक्षकों और विद्यालय की उपलब्धियाँ :-
A. शिक्षकों के विभिन्न सम्मानों एवं पुरस्कारों का विवरण :- ब्लाक स्तर एवं जिला स्तर पर मुझे उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में सम्मानित किया गया है।
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👉7- मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश :-
मिशन शिक्षण संवाद शिक्षकों के लिए बहुत ही उपयोगी प्लेटफार्म है जहाँ शिक्षकों को भी समय-समय पर अपने तकनीकी विकास में बहुत मदद मिलती है, मैं उसका एक उदाहरण हूँ। साथ ही बच्चों के लिए भी बहुत अधिक मात्रा में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कांस्टेंट शेयर किए जाते हैं, जो बहुत ही उपयोगी है।
👉8- शिक्षक समाज के लिए संदेश :- शिक्षकों को अपने कार्य के प्रति ईमानदार और निष्ठा पूर्ण होना चाहिए, क्योंकि शिक्षक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
👉 9-संकलन एवं सहयोग :
फ़हीम बेग
मिशन शिक्षण संवाद परिवार लखनऊ
नोट : यदि आपने और आपके किसी परिचित शिक्षक साथी ने अपने स्वयं के प्रयासों, समर्पण और संवेदनशीलता से शिक्षा के उत्थान, शिक्षक के सम्मान और मानवता के कल्याण के लिए कुछ प्रेरक एवं अनुकरणीय कार्य किए हैं तो आपसी सीखने- सिखाने एवं शिक्षकों के सम्मान और स्वाभिमान के लिए समाज में बनी हुई नकारात्मकता को नष्ट कर, सकारात्मक संदेश देने के लिए अपने कार्यों का विवरण एवं उसे प्रमाणित करती हुई फोटो को मिशन शिक्षण संवाद परिवार के वाट्सअप नम्बर- 9458278429 पर भेजते रहें, सीखते रहें और सिखाते रहें।
बहुत-बहुत धन्यवाद!
हार्दिक शुभकामनाएँ!
22-08-2022
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