खेल
ये जिंदगी है खेल,
भाई खेल खेल।
जरा दिल लगा के खेल,
भाई खेल खेल।
हटी जरा भी यदि नजर,
हुई कठिन ये डगर।
रखो लक्ष्य पर नजर,
जीतना है अगर।
जरा हो सतर्क खेल,
भाई खेल खेल।
ये जिंदगी है .......
जीत लो ये जहान,
रखो आन बान शान।
छोड़ कदमों के निशान,
हो जा इतना तू महान।
जरा मस्ती में तू खेल,
भाई खेल खेल।
ये जिंदगी है .......
हो क्रिकेट का मैदान,
या हो हाथ तीर कमान।
ना खोना कभी ईमान,
रखना नियमों का तू मान।
जरा झूम झूम खेल,
भाई खेल खेल।
ये जिंदगी है .......
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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