कृष्ण जन्माष्टमी
कान्हा ने बांसुरी की मीठी धुन बजाई है,
नंगे पैर राधा रानी जी दौड़ी चली आईं है।
सुन तान मीठी गायें-ग्वाले सब मुस्काए हैं,
बांसुरी की मीठी धुन से मदहोशी सी छाये है।
नटखट कन्हैया लाल कहलाता है माखन चोर,
देखे जिसे जी भर के, मन चुरा ले जाए चित् चोर।
कान्हा तुम इस तरह मेरे मन को भाए हो,
देखती हूँ जिस ओर सिर्फ तुम ही तुम छाये हो।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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