कन्हैया

बहुत याद आती है,

तुम्हारी कन्हैया।

कसम चाहे लेे लो,

हमारी कन्हैया।


राधा रानी कब से रोए,

मीरा ने भी नैन भिगोए।

दरश दिखा दो अब तो कन्हैया,

बहुत याद आती है,

तुम्हारी कन्हैया।


द्रोपदी बैठी आस लगाए,

कोई तो आकर लाज बचाए।

फिर से बढ़ा दो चीर कन्हैया,

बहुत याद आती है,

तुम्हारी कन्हैया।


टूटा है धीरज आस बँधा दो,

मानवता की लाज बचा दो।

उपदेश गीता का सुना दो कन्हैया।

बहुत याद आती है,

तुम्हारी कन्हैया।


हाहाकार मची है जग में,

काँटे बिछे हैं लाखों मग में।

करो दुष्टों का संहार कन्हैया।

बहुत याद आती है,

तुम्हारी कन्हैया।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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