तिरंगा
मान प्रतिष्ठा गौरव पर्व
उत्सव बनकर उड़ रहा तिरंगा।
अपनी आजादी की धुन पर
दिल की धड़कन बना तिरंगा।
देश प्रेम की चली बयार
हर घर की शान बना तिरंगा।
वीर शिवा की इस धरती पर
रग-रग में जोश बढ़ाये तिरंगा।
देशप्रेम की लय में झूमें
मातृभूमि को भाये तिरंगा
अपनी सरहद अपनी माटी से
मस्तक तिलक लगायें तिरंगा।
हिमगिरि की सरहद पर देखो
सीना ताने है खड़ा तिरंगा।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में
एक संग लहराये तिरंगा।
एक वतन है एक ही जज़्बा
दुश्मन की नींद उड़ाये तिरंगा।
खेतों में खलिहानों में
बस्ती और सिवानों में
गाँव-गाँव और शहर-शहर
गौरव गान सुनाये तिरंगा।।
भेदभाव और द्वेष भूल सब
प्रेम की अलख जगाये तिरंगा।
वीर भगत और खुदीराम की
गाथा सबको सुनाये तिरंगा।
भारत माँ के भाल पर सज कर
ऊँचे गगन में लहराए तिरंगा
आजादी के पिचहत्तर वर्ष का
अमृत महोत्सव मनाये तिरंगा।
रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।
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