नववर्ष
नवल प्रात है नवल आस है, आया है फिर वर्ष नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
नये-नये से सभी नज़ारे, लगे प्रकृति के आँगन में।
जी करता है भर लूँ इनको, मैं तो अपने दामन में।।
चंचल मन ये छेड़ रहा है, मन वीणा पे राग नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
नववर्ष की नव रश्मियों से, खिली उमंगों की कलियाँ।
सुरभित मलय समीर बहे यूँ, महके सब आँगन, गलियाँ।।
हर्ष से गुंजित चहुँ दिशाएँ, खग का कलरव गान नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
हर्ष के सीपी ने बिखेरे, भावों के सुन्दर मोती।
प्रेमतार में गूँथ दिये हैं, मुस्कान भरे वें मोती।।
गीतों, ग़ज़लों की रिमझिम में, बरसे है अल्फ़ाज़ नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे भाव नये अंदाज़ नया।।
स्वागत करते नवल वर्ष का, सुवासित पुष्पहार लिये।
जीवन में तुम आओ आगत, नवस्वर्णिम उपहार लिये।।
नववर्ष के शुभ आगमन से, छाया है इक हर्ष नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
उम्मीदों के नवल गगन में, सपने नयी उड़ान भरें।
पूरी हो मन की अभिलाषा, फ़तह हरेक जहान करें।।
नववर्ष संग अपने लाये, जीवन में उत्कर्ष नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
नवल प्रात है नवल आस है, आया है फिर वर्ष नया।
ऐसे में फिर क्यूँ ना होंगे, भाव नये अंदाज़ नया।।
रचयिता
सुमन सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय बिल्ली,
विकास खण्ड-चोपन,
जनपद-सोनभद्र।
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