देश का गर्व सुभाष
23 जनवरी 1897 का वह दिन धन्य हुआ,
उड़ीसा कायस्थ कुल सुभाष जब जन्म लिया।
जानकीनाथ प्रभावती की संतानों में,
सर्वाधिक सुभाष पर गर्व सबको हुआ।
कुशाग्र बुद्धि सुभाष ने शिक्षा में परचम लहराया।
कठिन तपस्या करके बी ए ऑनर्स भी पाया।
आँखे कमजोर होने से सेना ने लेने से मना किया,
फिर पिता की इच्छा रख आई ए एस फतेह किया।
जानकीनाथ प्रभावती की संतानों में,
सर्वाधिक सुभाष पर गर्व सबको हुआ।
पर मन में स्वामी विवेकानंद को था बिठाया,
आई ए एस बन फिरंगी गुलामत उनको ना भाया,
पाकर माँ का खत हौंसला अजब उन्होंने पाया,
लौट पड़े निज देश सेवा, पद से इस्तीफा दिया।
जानकीनाथ प्रभावती की संतानों में,
सर्वाधिक सुभाष पर गर्व सबको हुआ।
20 जुलाई 1921 गांधी से सुभाष जब मिले,
स्वतंत्र भारत के अंकुर वास्तव में तब ही खिले,
अपने-अपने ढंग से गाँधी सुभाष फिरंगियों से भिड़े,
दे अनेकों बलिदान 15 अगस्त 1947 देश स्वतंत्र हुआ।
जानकीनाथ प्रभावती की संतानों में,
सर्वाधिक सुभाष पर गर्व सबको हुआ।
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