माई

तर्ज - बहुत प्यार करते हैं


बहुत प्यार करते हैं, हिन्दी को हम।

कसम चाहें ले लो, है रब की कसम।


भारत माँ का गहना है हिन्दी,

हम सब की माई, बहना है हिन्दी।

गले से लगाएँगे सदा इसको हम,

बहुत प्यार करते हैं.............


प्यार दुलार है इसमें इतना,

माँ का लाड़ है दिल में जितना।

लाड़ लड़ाएँगे हिन्दी को हम।

बहुत प्यार करते हैं.............


रस और छंद हैं इसमें समाए,

ऋषियों ने गुण इसके हैं गाए।

गीत सदा गाएँगे हिन्दी के हम।

बहुत प्यार करते हैं.............


ममता का है सागर इसमें,

ज्ञान की छलके गागर इसमें।

दिल में बसाएँगे हिन्दी को हम।

बहुत प्यार करते हैं.............


करने ना देंगे अपमान इसका,

निश दिन बढ़ाएँगे सम्मान इसका,

फर्ज निभाएँगे जब तक है दम।

बहुत प्यार करते हैं.............


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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