वीर सिपाही

हम थल सेना के वीर सिपाही,

भारत माँ पर जान लुटाएँगे

सीमा की सुरक्षा की खातिर,

हम दिन रात एक कर जाएँगे।


छुए जो कोई माँ का आंचल,

उसके हाथ काट कर लाएँगे।

नजर बुरी जो डाले माँ पर,

उसकी आँख नोंच कर लाएँगे।


चाहें बरसें अब आग के गोले,

चाहें सर्दी कितनी भीषण हो।

करेंगे सुरक्षा भारत माँ की,

चाहें युद्ध कितने भीषण हों।


खुद को जला कर अग्नि में,

तन अपना फौलाद बनाएँगे।

तोड़ सके ना दुश्मन जिसको,

खुद को वो दीवार बनाएँगे।


जज्बे को तलवार बना कर,

सीने को ढाल बनाएँगे।

यदि शीश उठाया शत्रु ने,

तो शीश काट कर लाएँगे।


जब तक तन में जान रहेगी,

ना पीछे कदम हटाएँगे।

भारत माता के चरणों में,

हम अपना  सर्वस्व लुटाएँगे।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

Comments

Total Pageviews

1168015