सेना दिवस

मेरे परवरदिगार तू बस, इतना दीदार करा देना।

दौलत ना शौहरत देना बस, मोहब्बत वतन से करा देना।।


ए मालिक मेरे प्यारे वतन में, ना कोई भूखा नंगा हो।

शान्तिप्रिय हों सभी जन, ना कोई दंगा हो।

होठों पर भारत माँ की जय, हाथों में लहराता तिरंगा हो।

करे गद्दारी वतन संग जो, उनका सोता जमीर जगा देना।।

दौलत ना..............................


उन बर्फीली सर्द हवाओं में, फौलादों सा खड़ा रहूँ।

मिसाइल हों चाहें तोपें हों, सीना ताने अड़ा रहूँ।

आखिरी साँस तक तिरंगे को, सरहद पर लहराता रहूँ।

खून के एक-एक कतरे को, वतन के लिए बहा देना।।

दौलत ना ................................


रचयिता

अजय विक्रम सिंह, 
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मरहैया,
विकास क्षेत्र-जैथरा,
जनपद-एटा।



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