गणतंत्र दिवस

मेरा वतन है लाडला, इस लाडले को वंदन है।

इसकी ये पावन  माटी, माथे का ये चंदन है।

इस पर मैं वारी जाऊँगी, ये प्रीत का ये आँगन है।

मेरा वतन है लाडला, इस लाडले को वंदन है।

मेरा वतन है लाडला - - - - - - - - - - - -


माँ ने वारे लाल इस पर, बहनों ने वारी राखियाँ।

पत्नी ने सिन्दूर वारे, बच्चों की हैं रोयी लोरियाँ।

बाप के कंधे उठाते, दर्द और जिम्मेदारियाँ।

हौसलों से मेरे वतन, तेरे लिए हाजिर  ये जान।

मेरा वतन है लाडला -------------------------------


लेंगे जन्म हर बार ही, इस देश की  प्रीत में।

मरते रहेंगे जन्मों तक, इस लाडले की जीत में।

ये भूमि है वीरों की पावन, ये बलिदानों की है सदा।

महकती वीरों की समाधि, शत् शत् है मेरा नमन।

मेरा वतन है लाडला - - - - - - - - - - - -


आजाद ,भगत सिंह और लक्ष्मी का ये लाडला।

गांधी, मंगल, सुख देव का, ये तो प्यारा देश है। 

मिटते रहे हैं वीर इस पर, ये वीरों का देश है ।

दीप करती है नमन, चरणों में तेरे शीश है।

मेरा वतन है  लाडला - - - - - - - - - - -


रचनाकार

दीपमाला शाक्य दीप,

शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।



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