सौभाग्य

एक दिवस बिटिया का न हो,

हर दिल में बिटिया का घर हो।

बेटों की हो परवरिश इस तरह,

शर्म से न कभी आँख भी नम हो।।


हर बेटे की हो शिक्षा ऐसी,

हर बिटिया है घर के जैसी।

अपनी भी है तभी सुरक्षित,

जब औरों की करते संरक्षित।।


बेटी में संस्कार भरे हों,

गौरव और स्वाभिमान भरे हों।

शक्ति कदम लेकर शिक्षित हों,

हर कुल की सौभाग्य के पल हों।।

हर कुल की सौभाग्य के पल हों।।


रचयिता
कृष्ण कुमार अक्षज,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रामपुर की मड़ैया, 
विकास खण्ड-भाग्यनगर, 
जनपद-औरैया।

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