लोहड़ी

उत्तर भारत का है प्रसिद्ध त्योहार,

पंजाब में रहती है इसकी बहार।।

मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाते,

इसे मानते हैं परंपरागत त्योहार।।


प्रागैतिहासिक कथाएँ इससे जुड़ी हैं,

दक्ष प्रजापति पुत्री की सती होने की लड़ी है।

लोहड़ी के गीतों का होता है गायन,

खाते लावा, मूँगफली और रेवड़ी हैं।।


खुले स्थान पर अग्नि का घेरा बनाते,

सभी प्रेम से उसका फेरा लगाते।।

प्रसाद के रूप में दहकते कोयले लाते,

घर पर शुभ मानकर लाने की प्रथा बताते।।


हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में भी मनाते,

बंगाल, उड़ीसा में भी धूम मचाते।।

दुल्ला भट्टी की कहानी सभी सुनो,

गीत का केंद्र सब उनको बनाते।।


पंजाब का नायक था दुल्ला भट्टी,

लड़कियों को गुलामी से मुक्त कराए भट्टी।

हिंदू लड़कों से उनकी शादी भी करवाई,

विद्रोही प्रवृत्ति के थे दुल्ला भट्टी।।


प्रेम एकता यह त्योहार लाते,

बंधुत्व की भावना इससे बढ़ाते।

भारतीय संस्कृति अपने आप में अनूठी,

यह त्योहार एक मिसाल बन जाते।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


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