बिटिया

बेटी है सबका अभिमान

इसका सब करो सम्मान।

धरती की है यह शान।

मात पिता का गौरव जान।

किसी की बहन, बेटी

 किसी की तू पोती 

सबकी है लाडली

तू बेबस, लाचार नहीं,

नव दुर्गे का अवतार तू।

मानो धरती पर श्रृंगार तू।

 घर त्योहार तुमसे है

घर बार तुम्हीं से

अन्नपूर्णा देवी तू है।

राग- रस  है तुमसे,

हर श्रृंगार तू ही।

शिक्षा का सम्मान तू ही।

 हर कार्य मे करती नाम

देश विदेश में पाती सम्मान

सबला बन रहती समाज मे

हर कार्य में करती नाम।

दो कुल की वंश बेल है।

दो कुलों की शान है।


रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।



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