शुभता हो

नूतन वर्ष की मधुर बेला में,

सबका मंगलमय स्वागत हो।

कण्टक व्याधि रहित जीवन हो,

चहुँ दिशि मंगल ही मंगल हो।।


हम सबके आँगन में, 

छाएँ नित नई बहारें। 

सहयोग व सद्भाव बना रहे, 

आपस में स्नेह रहे व प्रेम रहे।। 


शीत सन्ताप का प्रकोप मिटे,  

रोग दोष सब दूर हों। 

कृपा अपार रहे प्रभु की, 

खुशियों की बौछारें हों।।


देश का गौरव बढ़े, 

नित नूतन उन्नति मिले। 

जगमग-जगमग घर द्वार रहे, 

सुख समृद्धि अपार रहे।।


मन, वचन, कर्म में शुचिता हो, 

परहित का सदा विचार रहे। 

शुभता के गीतों को गाता, 

मन वीणा का तार रहे।।


कुशल लोक व्यवहार रहे, 

प्रगति पथ से न विचलित हों।

ईश्वर की पूजा हो हर घर में, 

सेवा जीवन का सार रहे।।


विनती है हे माँ! तुमसे,

रोग-दोष सब दूर कर दे।

विश्व शान्ति हो, सन्ताप हरदे,

सबके जीवन में नव रस भर दे।।


जीवन पथ आलोकित हो सबका, 

सकल मंगल संसार रहे। 

नूतन वर्ष की मंगल बेला पर, 

यही शुभकामनाएँ हैं सबके लिए। 


रचयिता
माधव सिंह नेगी,
प्रधानाध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैली,
विकास खण्ड-जखौली,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।


Comments

  1. सुन्दर अति सुन्दर कविता प्रस्तुति । आपको बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

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