सावित्रीबाई फुले:एक व्यक्तित्व
कलम मेरी गर्वित हुई लिखके वर्णन आज,
कर जोर करूँ सावित्रीबाई फुले को नमन आज।
प्रथम महिला शिक्षिका और थीं समाज सुधारिका,
मराठी कवयित्री रही सबको बताऊँ अनेकों राज।।
3 जनवरी 1831 नायगांव को जन्म से किया धन्य,
पिता खन्दोजी नैवेसे, माता लक्ष्मी माने स्वयं को धन्य।
1840 में ज्योतिबा फुले से जुड़ा इनका बंधन,
स्त्री अधिकारों, शिक्षा के क्षेत्र में कार्य थे उल्लेखनीय।।
आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना,
पहले किसान स्कूल की संस्थापक जाना।
ज्योतिबा रहे इनके संरक्षक, गुरु, समर्थक,
उद्देश्य था विधवा विवाह, छुआछूत मिटाना।।
सामाजिक उपेक्षा को किया उन्होंने सहन
फिर भी नए विद्यालय खोलने में रहीं सफल।
तत्कालीन सरकार से सम्मान इन्होंने पाया,
सामाजिक पाबंदी के बावजूद जीत का परचम लहराया।।
उनके जीवन पर कई लेखकों ने रखे विचार,
जीवन शैली और कार्यों को दिया एक आकार।
"क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले" शैलजा मोलक ने लिखा,
"ज्ञानज्योति सावित्रीबाई फुले" में उषा पोल ने किया चमत्कार।।
10 मार्च 1897 को इस जग से ली विदाई,
प्लेग महामारी में रोगियों की सेवा में जान गँवाई।
बन गईं समाज के लिए बदलाव की बयार,
करे हर देशवासी नमन सावित्रीबाई फुले माई।।
Comments
Post a Comment